संयुक्त विपक्ष ने चुनाव आयोग पर पारदर्शी तरीके से काम नहीं करने का आरोप लगाते हुये रविवार को कहा कि लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल होने वाली कम से कम 50 प्रतिशत इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का मिलान वीवीपैट से कराने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।

तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख और आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू ने विपक्ष के नेताओं की एक बैठक ‘लोकतंत्र बचाओ’ के बाद संवाददाताओं से कहा कि 21 विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से कम से कम 50 प्रतिशत ईवीएम का मिलान वीवीपैट मशीनों से कराने को कहा है। इससे मतदान की विश्वसनीय बनी रह सकेगी। उन्होेंने कहा, “अगर ईवीएम और वीवीपैट की गणना में अंतर हो तो वीवीपैट पर्चियों को अंतिम माना जाना चाहिए।”

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण के बाद से ही ईवीएम पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस का मानना है कि चुनाव आयोग सभी दलों के साथ समान व्यवहार नहीं कर रहा है। उन्होेंने कहा कि मतदाता को वीवीपैट पर्ची सात सेकंड की बजाय केवल तीन सेकंड के लिए दिखाई देगी। उन्होंने कहा कि कम से कम 50 प्रतिशत ईवीएम में वीवीपैट का इस्तेमाल होना चाहिए। इस संंबंध में विपक्षी दल एक बार फिर उच्चतम न्यायालय जाएगें और चुनाव आयोग को इस आशय का निर्देश देने की मांग करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना जांच के ही लाखों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से काट दिये गये हैं।

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