प्रो. रतन लाल के लिए एकजुट हुए हरा, नीला और लाल, मिली जमानत
ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग के दावे के खिलाफ ट्वीट करने के कारण गिरफ्तार प्रो. रतन लाल के पक्ष में एकजुट हुए हरा, नीला और लाल। अदालत से मिली जमानत।
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दिल्ली विवि के हिंदू कॉलेज के प्राध्यापक और इतिहासकार प्रो. रतन लाल को आज दिल्ली की एक अदालत ने जमानत दे दी। उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग के दावे का खंडन करते हुए एक ट्वीट किया था। इसके बाद उन पर मुकदमा हो गया कि उन्होंने हिंदू भावना को आहत किया है। मुकदमा दर्ज होने और गिरफ्तारी के बाद देशभर में विरोध हुआ। सबसे खास बात यह कि उनके पक्ष में दलित संगठन, सामाजिक न्याय की धारा के संगठन और दल तथा भाकपा माले और सीपीएम तथा अन्य वाम दलों के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। आज दिल्ली में माले से जुड़ा छात्र संगठन आइसा, सीपीएम से जुड़ा छात्र संगठन एसएफआई तथा अन्य संगठनों के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन भी किया। कल रविवार को पटना में उनकी रिहाई के लिए माले से जुड़े छात्र और युवा संगठनों ने प्रदर्शन करने की घोषणा की थी।
प्रो. रतन लाल की रिहाई के लिए माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा का लक्ष्य इतिहास का अपहरण करना है। इसी कड़ी में प्रो, रतन लाल की गिरफ्तारी की गई। प्रो. रतन लाल दिल्ली विवि के प्रतिष्ठित हिंदू कॉलेज में इतिहास पढ़ाते हैं। उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर फेसबुक पोस्ट किया था। उन्हें तुरत रिहा किया जाए।
प्रो. लाल की रिहाई की खबर आते ही सोशल मीडिया में लोग खुशी जता रहे हैं और दक्षिणपंथी संगठनों पर खूब निशाना साध रहे हैं। राजरत्न आंबेडकर ने कहा-Prof. Dr. Ratan Lal जी न तो मुस्लिम है न ही ईसाई, न ही सिख है और न ही पारसी या बौद्ध। फिर हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे किसी हिंदू Professor ने अगर हिंदू धर्म पर कोई टिप्पणी की तो हिंदू धर्म ख़तरे में कैसे पड़ जाता है? क्या सही में ब्राह्मणी व्यवस्था शूद्रों को हिंदू मानती है?
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