गुजरात के दलित नेता व विधायक जिग्नेश मेवानी दो दिवसीय दौरे पर बिहार आ रहे हैं। वे बेगूसराय के बखरी व मधेपुरा में एक आम सभा को संबोधित करेंगे।
बेगूसराय से शिवानंद गिरि
जिग्नेश बेगूसराय आएंगे जहां से अखिल छात्र नौजवान संघ द्वारा बखरी विधानसभा क्षेत्र के रामपुर कॉलेज मैदान में आयोजित ‘युवा हुंकार रैली ‘ को जेएनयू छात्र संघ पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के साथ संबोधित करेंगे।उसके बाद जिग्नेश शाम में बेगूसराय केे पत्रकारों से मुखातिब होंकर देश और राज्य के विभिन्न मुद्दों पर अपनी बेबाक राय देंगे। अगले दिन वे मधेपुरा के लिए प्रस्थान करेंगे जहां संथाल दलित द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।
यह भी पढ़ें- मीडिया वालो जरा बताओ, मोदी मामूली गालीबाज हैं?
दो दिवसीय दौरे पर इस युवा दलित नेता के आने से बिहार की सियासी गलियारे में सरगर्मी बढ़ा दी है।बेगूसराय में जिग्नेश के इस दौरे का कई राजनीयतिक मायने निकाले जा रहे हैं।पहला ये कि बखरी विधानसभा सुरक्षित सीट है और जो सीपीआई का का गढ़ माना जाता रहा है ।यह सीट 1967 से 1990 ,तक सीपीआई के कब्जे में रहा और सीपीआई के अलग- अलग उम्मीदवारों ने इसका प्रतिनिधित्व अलग -अलग कार्यकाल में किया ।लेकिन 2000के विधानसभा चुनाव में यह सीट राजद के कब्जे में चली गई और फिलवक्त महागठबंधन उम्मीदवार के तौर पर राजद के उपेन्द्र पासवान विधायक हैं।लेकिन सीपीआई ने 2005 में इस पर अपना कब्जा कर लिया लेकिन 2010 के चुनाव में इस सीट पर बीजेपी का कमल खिल गया। सीपीआई की पकड का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1951 से अबतक हुए विधानसभा चुनाव में सीपीआई ने9 ,कॉंग्रेस व राजद ने2-2 बार जबकि बीजेपी को एक बार सफलता हाथ लगी है।जिग्नेश बखरी में सीपीआई की भटके जनाधार का घ्रुवीकरण कर अपने मित्र व लोकसभा प्रत्याशी कन्हैया कुमार के लिए एक मार्ग प्रशस्त करने की कोशिश करेंगे।
दूसरी ओर बिहार में रैली के बहाने चुनावी शंखनाद का बखरी से करने के एक और निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।
बखरी में आयोजित इस हुंकार रैली के बहाने अपनी पकड़ बिहार में अपनी जमीन तलाशने की कोॉशिश करेंगे। जिग्नेश का यह कार्यक्रम से बिहार के दलितों के नेता कहे जाने वाले लोजपा सुप्रीमों रामविलास पासवान के लिए चुनौती साबित हो सकती है।रामविलास पासवान का घर रैली के आयोजन स्थल से कुछ ही दूरी पर खगडिया जिला के अलौली विधानसभा में है और अलौली विधानसभा से उनके भाई व लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।ऐसे में इस रैली की सफलता रामविलास के राजनीतिक ताने -बाने को अवंश्य प्रभावित कर सकता है।
कौन हैं जिग्नेश मेवानी
दरअसल ,जिग्नेश कुमार नटवरलाल मेवानी एक राजनीतिक नेता है जो गुजरात के वडगाम विधानसभा सीट से बतौर निर्दलीय विधायक हैं। राजनीति में आने से पहले सामाजिक कार्यकर्ता व वकील के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले वह उना दलित अत्याचार लड़ाई समिति के संयोजक है, जो गुजरात में दलित लोगों के लिए कार्य करती है।
अगस्त 2016 में, उन्होंने एक विशाल रैली का आयोजन किया, जिसमें दलित लोगों ने संकल्प लिया की वह मवेशियों के शव और नाली साफ नहीं करेंगे। इस रैली में करीब 20,000 दलितों ने हिस्सा लिया था। वर्ष 2017 में, गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान, मेवाणी, हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर ने गुजरात से अपनी राजनीति शुरू की। ”