बिहार सरकार का सूचना व जनसंपर्क विभाग। सरकार और जनता के बीच संवाद की सबसे मजबूत कड़ी। मीडिया के साथ संवाद का माध्‍यम। लेकिन बिडंबना है कि यह विभाग सरकार का सबसे महत्‍वहीन विभाग माना जाता है। इसका मुख्‍य काम मीडिया के लिए विज्ञापन जारी करना रह गया है और राजकीय समारोह में भजन-कीर्तन इसकी जिम्‍मेवारी है। जबकि जनसंपर्क के नाम पर कुछ होर्डिंग लगवाने के अलावा कोई काम नहीं करता है।amrit

वीरेंद्र यादव

 

पिछली सरकार में अंतिम महीनों में यह विभाग अराजकता का अड्डा ही बन गया था। इसके कामों को ठेका पर देने का सिलसिला शुरू हुआ। उन ठेकेदारों ने पीआरडीए की विज्ञप्ति जारी करने के अलावा कोई काम नहीं किया। ‘बढ़ चला बिहार’  के नाम पर करोडों का ठेका बांटा गया। जनभागीदारी के नाम पर सत्तारूढ़ दल का प्रचार अभियान चलाया गया। इस कथित सरकारी योजना की मानिटरिंग जदयू के एक सांसद के आवास से होती रही। ‘बढ़ चला बिहार’ की शुरुआत के मौके पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि जनभागीदारी के माध्‍यम से ‘विजन डाक्‍यूमेंट’  तैयार किया जाएगा। लेकिन आज तक न ‘विजन डाक्‍यूमेंट’ बन पाया और न इसका बजट की सूचना सार्वजनिक की गयी।

 

पीआरडी को ‘अमृत’ पिला पाएंगे प्रत्‍यय

नयी सरकार में सूचना और जनसंपर्क विभाग सीएम के पास ही है। इसके सचिव सीएम के विश्‍वस्‍त प्रत्‍यय अमृत हैं। प्रत्यय की सबसे बड़ी चुनौती विभाग को जन सरोकार से जोड़ने का है। अभी तक पीआरडीए मुख्‍यमंत्री के पीआर एजेंसी के रूप में काम कर रहा है। अन्‍य मंत्रियों के लिए विभाग का कोई औचित्‍य नहीं है। प्रत्‍यय की सबसे बड़ी चुनौती विभाग को लुक बदलने की है। इससे भी बड़ा काम विजन डाक्‍यूमेंट से जुड़े सवालों का जवाब देना भी है। क्‍योंकि वे इस विभाग के पिछले फरवरी माह से सचिव हैं। और उनके कार्यकाल में ही ‘बढ़ चला बिहार’ और ‘जन भागीदारी’ की शुरुआत हुई थी। लेकिन इसकी आधिकारित रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गयी।

By Editor


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