उत्तर बिहार को राजधानी पटना से जोड़ने वाला लाइफ लाइन महात्मा गांधी सेतु अपनी जर्जर हालत और जाम की समस्या से कराह रहा है.

गांधी सेतु : जाम में फंसा जीवन
गांधी सेतु : जाम में फंसा जीवन

 

अनूप नारायण सिंह

वाहनो के दबाव से हिलते डुलते और कभी भी हाजरों लोगों की जिंदगिया लीलने को तैयार इस सेतु की बदहाली से निपटने की फिक्र ना तो राज्य सरकार को है और ना ही केंद्र सरकार को. एक दूसरे पर दोषारोपण की राजनीती वर्षों से जारी है.

पल पल जर्जर और भयावह होते इस पुल को मई 1982  में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस पुल का उद्घाटन किया था.  आपको उत्तर बिहार से पटना या पटना से उत्तर बिहार के किसी भी जिले में जाना है तो आपको इसी सड़क पुल का इस्तेमाल करना मज़बूरी है राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 19 इसी पुल से गुजरता है पिछले ढ़ाई साल से पच्छिमी लेन के जर्जर हो जाने तथा दसाक्षिणी साइड में पुल के बैठ जाने के कारण इस लेन को बंद कर निर्माण कार्य चल रहा है इस लिए पूर्वी लेन पर प्रतिदिन गुजरने वाले तक़रीबन ६० हजार वाहनों का भार सहना पड़ता है.

केंद्र और राज्य की लड़ाई

उचित ट्रैफिकिंग व्यवस्था नहीं होने के कारण जाम की समस्या स्थायी हो चुक्की है. दूसरे  वैकल्पिक मार्ग नहीं होने के कारण झूले की तरह झूलते इस पुल को पार करना मज़बूरी है .राज्य के पथ निर्माण बिभाग के मंत्री राजीव रंजन सिंह कहते है कि केंद्र सरकार को कई बार रिपोर्ट भेजने के बाद भी कोई कारगर पहल नहीं हो पाया है राज्य सरकार अपने स्तर से जो कुछ सम्भव है करने को तैयार है. दो वर्ष पूर्व पटना में विशषज्ञों की आयोजित रोड़ कांग्रेस में इस पुल को आवागमन के लिये बंद करने का सुझाव दिया गया था.

 

जानकर कहते हैं कि कब पुल का है वायरिंग खुल कर पार्ट पार्ट अलग हो जय कुछ कहा नहीं जा सकता. मौत को खुला आमंत्रण दे रहे इस सेतु का जीर्णोद्धार अब होगा कि नहीं यह भी संशय में है. केंद्र और राज्य सरकारों ने इस पुल के समानांतर पुल बनाने की तैयारी कागजों में पूरी कर ली है पर कभी एशिया का सबसे बड़ा सड़क पुल होने का गौरव प्राप्त करने वाला महत्मा गांधी सेतु, पल पल मौत की त्रासदी की ऒर बढ़ रहा है.

 

 

पटना जीरो माइल से लेकर हाजीपुर पासवान चौक तक इस पुल को पार करना किसी जंग को जितने से काम नही प्रतिदिन आपको इस पुल पर बाराती संग दूल्हे पैदल मार्च करते नजर आ सकते है लगन महूरत छूटने के डर से दूल्हा पैदल ५ से १० किलोमीटर पैदल मार्च करते है.एम्बुलेंस से आने वाले गंभीर रोगी आय दिन जाम के कारण पुल पर अंतिम साँस लेते है.

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