केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय में मुसलमानों को नौकरी नहीं देने की मोदी सरकार के लिखित रूप से कुबूल करने की खबर छापने वाले पत्रकार पुष्प शर्मा को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया. लेकिन बाद में जब यह खबर सोशल मीडिया में फैली तो उसने शर्मा को छोड़ा.
आयुष मंत्रालय के मुसलमानों को नौकरी ना देने की बात मानी थी, पुष्प शर्मा को इसका खामयाजा भुगतना पड़ा. पुलिस की एक टुकड़ी मुबारकपुर पुलिस स्टेशन से आई और साढ़े छे बजे उन्हें उनके लाजपत नगर थाने से गिरफ़्तार कर ले गयी.
पुष्प शर्मा ने यह खबर मिली गजट नामक पत्रिका में लिखी थी. उस रिपोर्ट में आरटीआई के हवाले से लिखा गया था कि आयुष मंत्रालय में 700 से ज्यादा मुसलमान आवेदकों ने नौकरी के लिए आवेदन किया था लेकिन उनमें से एक को भी नौकरी नहीं दी गयी. मंत्रालय ने लिखित रूप से स्वीकार किया कि इस पद के लिए 3841 मुसलमानों ने आवेदन किया. इसके अतिरिक्त अल्पकालीन पद के लिए 711 मुसलमानों ने आवेदन किया. लेकिन इनमें से एक मुस्लिम का भी चयन नहीं किया गया.
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बाद में आयुष मंत्रालय के मंत्री ने दावा किया था कि यह खबर झूठी है. लेकिन पुष्प शर्मा अपने दावे पर कायम थे और उन्होंने आरटीआई से मिली सूचना को सार्वजनिक कर दिया था.
मिली गजट के सम्पादक जफरुल इस्लाम खान ने कहा है कि सच उजागर करने वाले पत्रकारों को पुलिस टार्चर कर रही है. उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है.