पटना२१ अक्टूबर । एक दिव्य शांति और आनंद का भाव उनके मुखारविंद पर सदैव बना रहता था। एक स्निग्ध और मोहक मुस्कान के साथ उनका आत्मीयता के साथ हर किसी से मिलनाअपने गीतों को मधुरकंठ से पढ़ना कभी भुलाया नही जा सकता। उनके निधन से हिंदी और भोजपुरी साहित्य ने अपना एक दुलारा बेटाअसमय खो दिया है। वे मृदुभावों के अत्यंत प्रभावशाली और यशमान कवि थे। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन अपने इस अत्यंत प्रतिभाशाली कवि को खोकर मर्माहत है।

यह शोकोदगार आज यहाँ साहित्य सम्मेलन मेंलोकप्रिय कवि विशुद्धानंद के असामयिक निधन पर आयोजित शोकसभा की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने व्यक्त किया।

डा सुलभ ने कहा किविशुद्धानंद जी एक प्रतिभाशाली गीतकारपटकथा लेखकरेडियोरूपककार हीं नही एक विनम्र साहित्यसेवी और आध्यात्मिकसाधना के पथिक थे। उन्होंने साहित्यसम्मेलनगीत‘ की रचना कर सम्मेलन को सदा के लिए ऋणी बना लिया है। डा सुलभ ने कहा किउनके निधन से उन्होंने अपना एक भाई समान मित्र खो दिया है।

अपने शोकोदगार में सम्मेलन के साहित्य मंत्री और सुप्रसिद्ध समालोचक डा शिववंश पांडेय ने कहा किविशुद्धानंद जी एक पूर्णकालिक साहित्यसेवी थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन साहित्य और संस्कृतिकर्म को दिया। वे एक बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार और संस्कृतिकर्मी थे। उनका संबंध सिनेमा और आकाशवाणी से भी रहा। उन्होंने फ़िल्मों और धारावाहिकों के लिए भी पटकाथा और गीत लिखे। रेडियोरूपक के लिए वे अत्यंत लोकप्रिय थे। उनके निधन से साहित्यजगत को कभी न पूरी होने वाली क्षति पहूंची है।

शोक गोष्ठी में कवि योगेन्द्र प्रसाद मिश्रकवि ऋषिकेश पाठकराज कुमार प्रेमीविजय गुंजनआर प्रवेशयुवा कवयित्री कुमारी नंदिनी ने भी अपने शोकोदगार व्यक्त किए। सभा के अंत में दो मिनट मौन रह कर दिवंगत आत्मा की शान्ति और सद्गति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई।

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427