अब प्रधानमंत्री अपनी पार्टी के नेता को भी बना सकेंगे चुनाव आयुक्त
अब प्रधानमंत्री अपनी पार्टी के नेता को भी बना सकेंगे चुनाव आयुक्त। लोकसभा से चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी विधेयक गुरुवार को पारित।
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 गुरुवार को लोकसभा से पारित हो गया। दो दिन पहले मंगलवा को यह विधेयक राज्यसभा से पारित हो चुका था। 143 सांसदों को निलंबन के बाद सरकार ने इस महत्वपूर्ण विधेयक को पारित कर दिया। इसके तहत अब चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री, उनके द्वारा नामित कैबिनेट मंत्री तथा विपक्ष के नेता करेंगे। स्पष्ट है कि अब जिसे प्रधानमंत्री चाहेंगे, वही चुनाव आयुक्त बनेंगे। नियुक्त के लिए तीन सदस्यों के पैनल में दो सदस्य सरकार के होंगे। इसीलिए राज्यसभा में चर्चा के दौरान आप सांसद राघव चढ्ढा ने कहा था कि अब संबित पात्रा भी चुनाव आयुक्त बन सकते हैं। चढ्ढा ने कहा था कि अगर ये बिल पास हो गया तो बीजेपी चाहे तो संबित पात्रा को अपना मुख्य चुनाव आयुक्त भी बना सकती है.. मुख्य चुनाव आयुक्त बिल पास के बाद बीजेपी हार गई तो संबित पात्रा को भी मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया जा सकता है। क्या हम सचमुच ऐसी स्थिति चाहते हैं?
विपक्ष ने इस बिल को पारित कराने पर कहा कि यह सरासर लोकतंत्र पर हमला है। कांग्रेस ने कहा कि इस विधेयक के पास होने के बाद देश में कार्यपालिका की ताकत बढ़ेगी। यह सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का भी उल्लंघन में है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया तथा विपक्ष के नेता तीन व्यक्तियों का पैनल चुनाव आयोग की नियुक्ति करे। लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमारे जो मूल मुद्दे थे, उससे हटकर मोदी सरकार ने मनमाफिक इतना बड़ा बिल पारित कर दिया। ये देश और लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरनाक है। इसका दूरगामी असर होगा। यह सरकार हर चीज की अनदेखी कर रही है और बहुमत के बाहुबल से अपनी मर्जी चला रही है। ये देश को अंधेरे की ओर धकेलने का काम कर रहे हैं और हम इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह असंवैधानिक है। यह सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के सुझाव के विपरीत है और इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।