आज भक्त मंडली को राजनाथ सिंह ने कर दिया दुखी
भक्त मंडली केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह से बहुत दुखी है। भक्तगण 70 साल से जो कह रहे थे, राजनाथ सिंह ने उसे एक मिनट में खारिज कर दिया।
कुमार अनिल
अब तक भक्तगण कहते आए थे कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी थी। उनके सामने कांग्रेसी और कम्युनिस्टों के तर्क काम नहीं करते थे। जब ये लोग इतिहास की किताबों से साबित करते थे कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी, तो भक्तगण इतिहासकारों को ही एक लाइन में खारिज कर देते थे। कह देते थे कि इतिहास कांग्रेसियों और कम्युनिस्टों ने लिखा है। बात खत्म।
अब केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कह दिया कि सावरकर ने महात्मा गांधी के कहने पर अंग्रजों से माफी मांगी थी। इस तरह उन्होंने स्वीकार कर लिया कि जब देश अंग्रेजों से लड़ रहा था, तब सावरकर ने माफी मांगी। अब भक्तगण का दुखी होना स्वाभाविक है। उस पर तुर्रा यह कि कई लोग राजनाथ सिंह को थैंक्यू भेज रहे हैं।
महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने दाखिल की थी अंग्रेजों के सामने दया याचिका : @rajnathsingh
— Srinivas BV (@srinivasiyc) October 13, 2021
राजनाथ जी, उम्र के इस पड़ाव में Whatsapp यूनिवर्सिटी से ज्ञान लेना आपको शोभा नही देता.. pic.twitter.com/rinhyMB5k7
इतिहासकार विवेक शुक्ला ने कहा- तमाम आलोचनाओं के मध्य मैं राजनाथ सिंह जी की तारीफ़ करूंगा कि उन्होंने एक बहुत बड़े कुतर्क पर पूर्ण विराम लगा दिया। अंततोगत्वा यह साबित हुआ कि सावरकर ने माफ़ी मांगी थी। यह उन लोगों के लिए सबक है, जो इस तथ्य को लेकर भ्रमित थे कि सावरकर ने कभी माफ़ी ही नहीं मांगी।
सोशल मीडिया में कई इतिहासकारों ने राजनाथ सिंह के दावे को पूरी तरह झूठ साबित कर दिया है। इसी के साथ कुछ और भी झूठ पर भक्तगण घिरते नजर आ रहे हैं।
लेखक और प्राध्यापक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहा-सावरकर माफीवीर बने गांधीजी के कहने से…यह नगीना नया है। पुराना चलता आया है—सुभाष बोस ने आज़ाद हिन्द फ़ौज बनाई सावरकर की सलाह पर। मज़े की बात यह कि बोस ने गांधी, नेहरू, मौलाना आज़ाद के नाम पर ब्रिगेड बनाईं, सावरकर के नाम पर नहीं। बोस इतने अकृतज्ञ तो ना रहे होंगे। क्या ख़्याल है?
जवाब में सुमेश मौर्य ने लिखा-सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज लड़ते हुए पूर्वोत्तर में दाखिल हुई तो उन्हें रोकने के लिए सावरकर ने जिन भारतीय रंगरूटों को तैयार कर ब्रिटिश सेना में भर्ती करवाया था, उन रंगरूटों ने आजाद हिंद फौज को रोका और हराया था। इस तरह सावरकर अंग्रेजों का वफादार सिद्ध हुआ।
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