अखिलेश की रैली शाम ढलने के बाद भी, मोदी केवल दोपहर में क्यों
अखिलेश और मोदी-योगी में बड़ा फर्क देखिए। अखिलेश शाम ढलने, रात होने पर भी रैली कर रहे, जबकि योगी-मोदी शाम ढलने से पहले ही रैली खत्म कर रहे, क्यों?
आज उत्तर प्रदेश में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की भी रैली हुई और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी। अखिलेश यादव आज रायबरेली में थे, तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लखनऊ में भाजपा और निषाद पार्टी की रैली में। शाह और योगी की रैली दिन में हुई, जबकि सपा प्रमुख अखिलेश की सभा दोपहर में शुरू होकर शाम ढलने के बाद तक चलती रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यूपी में कई रैली कर चुके हैं, लेकिन उनकी भी सारी रैलियां दोपहर में ही हुईं। भाजपा की रैलियां शाम होने से पहले ही समाप्त कर दी जाती हैं। यह फर्क क्यों है? एक और भी फर्क नोट करिए-अखिलेश की किसी रैली में कुर्सिंया नहीं रहतीं, लोग खड़े-खड़े सुनते हैं। सुरक्षा घेरा भी नहीं रहता, जबकि भाजपा की सभा में मंच के आगे दूर तक बैरिकेडिंग रहती है, जिससे लोग पीछे तक दिखें।
सपा की रैली शाम ढलने के बाद भी और भाजपा की रैली सिर्फ दोपहर में, इसकी बड़ी वजह है जन समर्थन। जब जन समर्थन साधारण रहेगा, तो रैलियां दिन में करनी पड़ेंगी। शाम ढलने से पहले ही रैली समाप्त करनी पड़ेगी। अगर आपने रैली समाप्त नहीं की, तो लोग खुद ही उठकर जाने लगेंगे, जो किसी दल और नेता के लिए सबसे बुरा होता है। तब जनता में नकारात्मक संदेश जाना तय है।
इसके विपरीत शाम ढलने के बाद भी रैली तभी हो सकती है, जब जन समर्थन प्रबल हो, व्यापक हो। शाम ढलने के बाद भी रैली में लोगों का जमे रहना दल और नेता में आत्मविश्वास जगाता है और समर्थकों में उत्साह भरता है।
"जन जन की यही पुकार, एक बार फिर अखिलेश सरकार" pic.twitter.com/jxI8WZ6WWK
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) December 17, 2021
शाम ढलने के बाद भाजपा ने एक भी रैली नहीं की है, जिसका अर्थ है कि उसे प्रबल समर्थन नहीं है। 2017 वाला जोश गायब है। आज तो योगी आदित्यनाथ की सभा में बेरोजगार युवकों ने वैकेंसी न निकालने, वैकेंसी निकाल कर परीक्षा न लेने और परीक्षा लेकर रिजल्ट न देने के खिलाफ प्रदर्शन भी किया।
आप खुद समझिए किसकी हवा खराब है और किसकी हवा बह रही है।
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