Ashfaque-Rahman नागरिकता विरोधी आंदोलन नेतृत्व उभार का सुनहरा अवसर है- Ashfaque Rahman

जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान ने कहा कि मुसलमानों की सियासी हिस्सेदारी लगातार कम हो रही है। अब तो विभिन्न राजनीतिक दल भी चुनावों में मुसलमानों को टिकट देने में संकीर्णता दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को सियासी हिस्सेदारी चाहिए, तो अपनी स्वतंत्र लीडरशिप विकसित करनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनका पार्टी जनता दल राष्ट्रवादी ठीक यही काम कर रही है। सियासत में दावेदारी और हिस्सेदारी से ही मुसलमानों की आर्थिक, शैक्षिक तथा सामाजिक स्थिति में सकारात्मक सुधार हो सकता है।

अशफाक रहमान ने कहा कि वे लगातार हाशिये पर पड़े लोगों, वंचित समाज की आवाज उठा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने गठबंधन करने से भी परहेज नहीं किया। गठबंधन करते समय मुसलमानों तथा अन्य वंचित समाज की आवाज से कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने कभी पूर्व मुख्यमंत्री के साथ मंच शेयर किया तो कभी पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के साथ मिलकर मोर्चा खड़ा किया।

जनता दल राष्ट्रवादी (जेडीआर) नेता ने कहा कि आज रातों रात लोग दल बदल लेते हैं, विचार बदल लेते हैं। ऐसे लोगों से कभी न देश का भला होगा और न समाज का। उन्होंने कहा कि वे समाज की तरक्की के लिए, सियासत में हिस्सेदारी के लिए कभी विचारधारा से समझौता नहीं किया। कभी टूटे नहीं, कभी झुके नहीं। विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा हर रोज उन्हें अपने दल में शामिल करने का प्रयास होता है, लेकिन वे वसूलों के साथ समझौता नहीं कर सकते।

जनता दल राष्ट्रवादी के अशफाक रहमान मुसलमानों के अकेले ऐसे नेता हैं जो दशकों से टिककर बहुत समझदारी के साथ बारीक राजनीति कर रहे हैं। इस वजह से समाज तथा वंचित तबके में उनकी विश्वसनीयता बढ़ी है। वे आज भरोसेमंद नेता बन गए हैं। अशफाक रहमान की एक अलग पहचान है। वह व्यक्तिवादी राजनीति की जगह समुदाय की राजनीति के पक्षधर है और मुसलमान के इकलौते नेता है जो स्वतंत्र रूप से अपने समाज की सियासी हिस्सेदारी की लड़ाई लड़ रहे हैं। अब मुसलमान भी इस मुद्दे पर मुखर हो रहे हैं। लालू प्रसाद की पार्टी ने लोकसभा चुनाव में मात्र दो टिकट मुसलमानों को थमाया। अशफाक रहमान ने इसे मजबूती से उठाया।

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अशफाक रहमान 90 के दशक में झारखंड के महागामा विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं। वे समता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में रहे हैं। अब खुद चुनाव नहीं लड़ते। अपनी पार्टी बनाकर दूसरों को चुनाव लड़ाते हैं। अशफाक रहमान ने उम्मीद जताई कि उनके प्रयासों को लोग जल्द समझेंगे और मुस्लिम समाज की आवाज विधानसभाओं से लेकर संसद तक मजबूती से उठेगी। आज के मुश्किल हालात बदलेंगे।

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By Editor


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