अशोक चौधरी की यह बदतरीन फजीहत गोदी मीडिया के सर्वे के मुंह पर भी तमाचा है

अशोक चौधरी. वही अशोक चौधरी जो पिछले दिनों तक बिहार कांग्रेस के प्रदेश प्रेसिडेंट थे. वही अशोक चौधरी जो अब नीतीश कुमार की पार्टी में हैं. उन्होंने ट्विटर पर एक चुनावी सर्वे किया जिसमें लोगों से पूछा कि लालटेन जलना चाहिए या बुझना चाहिए. चौधरी के इस सर्वे में 81 प्रतिशत लोगों ने जवाब दिया कि लालटेन जलना चाहिए.

इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम

चौधरी के इस सर्वे का रिजल्ट उनकी उम्मीदों के विपरीत आया तो उन्होंने इस ट्विट को मिटा दिया. इसके बाद सोशल मीडिया पर बड़ी फजीहत हुई.

अशोक चौधरी के इस सर्वे के नतीजे साफ तौर पर यह बयान करते हैं कि लालटेन यानी राष्ट्रीय जनता दल के समर्थकों ने अशोक चौधरी की न सिर्फ उम्मीदों पर पानी फेर दिया बल्कि इस सर्वे से जो वास्तविक नतीजे सामने आये उससे यह पता चलता है कि राजद को चाहने वालों की संख्या काफी बड़ी है.

अशोक चौधरी ने भले ही इस सर्वे को मिटा दिया हो. लेकिन इस सर्वे ने गोदी मीडिया द्वारा कराये जा रहे सर्वे की भी कलई खोल दी है. हाल ही में एबीपी ने बिहार पर एक चुनावी सर्वे किया था. इस सर्वे में इस न्यूज चैनल ने जो परिणाम दिखाये उसमें एनडीए को भारी जीत दिखाया गया है. जबकि जमीनी हकीकत वैसी कत्तई नहीं है.

नौकरशाही डॉट कॉम का अनालिसिस

नौकरशाही डॉट कॉम ने पिछले दिनों एक साइनटिफिक अनालिसिस के द्वारा यह बताया था कि 2014 में 22 सीटें जीतने वाली भाजपा इसबार मात्र 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. 2014 में भाजपा की धमाकेदार जीत के वक्त उसे बिहार में 70 प्रतिशत सीटों पर जीत हासिल हुई थी. अगर 2014 की कामयाबी को भाजपा फिर से दोहराती है तो इस बार उसे मैक्सिमम 12 सीटें ही आयेंगी. और अगर हालात बदले तो उसे ज्यादा से ज्यादा 8-9 सीटों पर सब्र करना होगा.

लेकिन चुनाई सर्वे को टीवी चैनलों द्वारा बेशर्मी से अपने मन माफिक दिखाने की कोशिश हो रही है.

2004 में वाजपेयी को दिला रहे थे 305 सीट

यहां पाठकों को याद दिलाना जरूरी है कि 2004 में जब अटलबिहारी वाजपेयी फिर से सत्ता हासिल करने के लिए चुनाव लड़ रहे थे तो उस समय इंडिया टुडे के सर्वे में यह दिखाया गया था कि भाजपा 305 सीटें प्राप्त करने वाली है. लेकिन उस चुनाव का नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस ने जीत हासिल की और मनमोहन सिंह की सरकार बन गयी.

2019 के चुनाव से पहले चुनावी सर्वे के नाम पर जिस बेशर्मी से मनमाफिक सर्वे परोसा जा रहा है उससे भले ही कुछ लोगों को खुशी हो रही होगी पर सच्चाई यही है कि ये सर्वे हकीकत से कोसों दूर हैं.

 

By Editor