भारत ने 1981 में फिलीस्तीन के पक्ष में डाक टिकट जारी किया था
भारत ने 1981 में फिलीस्तीन के पक्ष में डाक टिकट जारी किया था। पटना पुस्तक मेला में अखिल भारतीय शांति व एकजुटता संगठन की परिचर्चा में बोले वक्ता।
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अखिल भारतीय शांति व एकजुटता संगठन ( ए.आई.पी. एस ओ) की और से पटना पुस्तक मेला के मीरा कुमार मंच पर ‘ भारत की बदलती विदेश नीति : संदर्भ फिलीस्तीन और इजरायल ‘ विषय पर विमर्श का आयोजन किया गया। इस मौके पर पटना के बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, संस्कृतिकर्मी शामिल हुए।
इस मौके पर वक्ताओं ने पश्चिम एशिया के संबंध में भारत की बदली हुई विदेश नीति को रेखांकित किया।
विषय प्रवेश करते हुए अरुण मिश्रा ने कहा ” फिलीस्तीन में आज हालात बेहद खराब हैं। भारत की विदेश नीति अंतराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में हमारी घरेलू नीति का ही विस्तार है। पहले हम गुट निरपेक्ष देशों के नेता हुआ करते थे लेकिन हमने वह भूमिका छोड़ कर खुद को साम्रज्यावाद के खूंटे से बांध दिया है। जब संयुक्त राष्ट्र में युद्ध रोकने का प्रस्ताव लाया गया तब हम उसमें शामिल नहीं हुए। “
एआईपीएसओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंडल के सदस्य रामबाबू कुमार ने बताया ” हमारी विदेश नीति समाजवादी मुल्कों का साथ देती थी। बीसवीं शताब्दी के आखिरी दो दशकों तक दुनिया के तीसरी दुनिया के मुल्कों जैसे फिलीस्तीन का समर्थन किया करती थी। आठवें दशक से वाशिंगटन कांसेसेस के तहत समेकित विश्व बाजार की कल्पना की गई। पहले जो शांतिपूर्ण सहअस्तित्व का दौर चल रहा था वह सोवियत संघ के पतन के साथ पूरी तरह बदल गया। दुनिया को बाजार और इंसान को बिकने वाला समान समझकर नीतियां बदलने लगी। फंडामेंटलिस्ट तत्वों का बोलबाला शुरू होने लगा। अभी यूक्रेन और गाजापट्टी में दो जगह युद्ध चल रहा है। यह सरकार जिस तेजी से अमेरिकापरस्ती के ओर बढ़ रही है वह खतरनाक है। “
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस के चेयरपर्सन रहे पुष्पेंद्र ने अपने संबोधन में कहा ” कोई भी विदेश नीति सत्य और न्याय के आधार पर होना चाहिए। भारत कहीं भी शांति के लिए प्रयास करता नहीं दिख रहा है। जबकि अतीत में हमलोग यह काम किया करते थे। साम्रज्यावादविरोध हमारी विदेश नीति का मुख्य तत्व हुआ करता था। 1981 में भारत ने एक डाक टिकट जारी किया था जिसमें भारत और फिलीस्तीन का दोनों का झंडा लगा रहता था। गैर अरब देशों में भारत इकलौता मुल्क था जिसने फिलीस्तीन को खुलकर समर्थन किया था। लेकिन नरसिम्हा राव के बदल परिस्थिति बदल गई और 1992 में इजरायल को राजनयिक मान्यता प्रदान कर दी गई। आज भारत इजरायल से सबसे अधिक हथियार मंगाने वाला देश बन गया है। “
परिचर्चा को इसकफ के राज्य महासचिव रवींद्रनाथ राय ने अपनी राय प्रकट करते हुए कहा ” विदेश नीति में बदलाव हथियारों के कारोबारियों द्वारा किया गया है। आज भारत के पूंजीपति वर्ग के हित में विदेश नीति बनाई जाती है। ” जनवादी लेखक संघ के राज्य सचिव विनिताभ , शिक्षाविद अनिल कुमार राय, पटना विश्विद्यालय में लोक प्रशासन के प्रोफेसर सुधीर कुमार, तंजीम ए इंसाफ के राज्य सचिव इरफान अहमद फातमी ने भी संबोधित किया। परिचर्चा का संचालन ऐप्सो के राज्य कार्यकारिणी सदस्य कुलभूषण गोपाल ने किया।
इस परिचर्चा में शामिल प्रमुख लोगों में थे आलोकधन्वा, मुकेश प्रत्युष, रमेश सिंह, सुधीर, अनिल राय, इरफान अहमद फातमी, अनीश अंकुर , सुधाकर, गौतम गुलाल, जयप्रकाश, गजेंद्र शर्मा , जयप्रकाश, आनंद, सुबोध, मनोज, सिकंदर आजम, प्रवीण परिमल, अनिल अंशुमन, जफर इकबाल , बांके बिहारी आदि प्रमुख थे।
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