SC ने जाति गणना के आंकड़े प्रकाशित करने पर रोक से किया इनकार
SC ने जाति गणना के आंकड़े प्रकाशित करने पर रोक से किया इनकार। राजद और जदयू ने फैसले का किया स्वागत। कहा, एक और साजिश विफल।
सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार की बड़ी जीत हुई है। कोर्ट ने जाति गणना के आंकड़ों को प्रकाशित करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह राज्य सरकार को नीतिगत फैसले लेने से नहीं रोक सकता। राजद और जदयू ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि एक और साजिश विफल हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट में पटना हाईकोर्ट के एक अगस्त के फैसले को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार जातिगत आंकड़े प्रकाशित कर रही है। इसलिए जल्द सुनवाई की जाए। इसी के बाद शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई की। अगली सुनवाई जनवरी में होगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने #जातिगत_जनगणना के डाटा के पब्लिकेशन पर रोक लगाने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा – “हम किसी राज्य सरकार के किसी काम पर रोक नहीं लगा सकते।” भाजपा को ग़रीब, OBC, SC, ST और माइनॉरिटी का भला होते देखा नहीं जाता! अत्यंत असह्य पीड़ा हो रही है बेचारी भाजपा को! जदयू ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। पार्टी ने कहा कि जाति गणना से सबका विकास होगा।
बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि यह सिर्फ सरकार की नहीं बल्कि बिहारवासियों की जीत है। जाति आधारित गणना समानता के साथ-साथ बिहार की हर जाति और वर्ग के समग्र विकास का आधार है। विपक्ष को भले ये बात समझ नहीं आ रही है! सभी को बहुत-बहुत बधाई।
इधर कांग्रेस नेता अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री@NitishKumar जी,अभी बिहार मंत्रिमंडल में पिछड़े वर्ग के 13 जिसमें अकेले यादव जाति के 8 मंत्री हैं और जातिय गणना में सबसे ज्यादा 37% संख्या वाले अतिपिछड़े वर्ग के मात्र 3 ही मंत्री हैं। सामाजिक न्याय का तकाजा है कि मंत्रिमंडल का पुनर्गठन कर इस वर्ग की संख्या बढ़ाई जाये।
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