बिहार में पंजाब जैसा किसान आंदोलन नहीं होने की ये है वजह
पंजाब, हरियाणा, प. उत्तर प्रदेश और राजस्थान के एक इलाके में किसान आंदोलन तेज है। बिहार में वैसा आंदोलन नहीं है। क्या बिहार के किसान एमएसपी नहीं चाहते?
बिहार में पंजाब जैसा किसान आंदोलन नहीं होने की क्या वजह हो सकती है? भाजपा नेता कहते हैं कि बिहार के किसान तीन कृषि कानूनों के समर्थन में हैं, इसलिए आंदोलन नहीं हो रहा। यही सवाल नौकरशाही डॉट कॉम ने जहानाबाद के सामाजिक कार्यकर्ता राजकिशोर सिंह से किया, तो उन्होंने कहा कि बिहार में जिनके पास खेत है, वे बड़ी संख्या में खेती नहीं करते और जो खेती करते हैं, उनकी अपनी जमीन नहीं है।
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राजकिशोर सिंह कहते हैं कि बिहार में भूमि मालिकों का अच्छा हिस्सा खुद खेती नहीं करता। इसने अपनी भूमि बंटाई पर दे रखी है। इनमें ऐसे लोग भी हैं, जो गांव में नहीं रहते, जिला मुख्यालयों, शहरों में रहते हैं। ऐसे घरों के बच्चे बेंगलुरु जैसे शहरों बड़े शहरों में नौकरी करते हैं। समाज के इस हिस्से के लोग धीरे-धीरे खेत बेच रहे हैं। इनके लिए खेती जरूरी नहीं रह गई है। ये सोचते हैं कि हम तो गांव जाते नहीं, इसलिए जमीन बेचकर बेटे को पैसा दे देंगे, तो वह फ्लैट खरीद लेगा। जिन्होंने बंटाई पर खेत दे रखा है, उन्हें लगता है कि अगर कोई बाहर की कंपनी कांट्रैक्ट पर खेत लेगी, तो उनका खेत सुरक्षित हो जाएगा और पैसे भी मिलेंगे।
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इसके विपरीत जो बंटाईदार हैं, वे भी पूर्ण रूप से कृषि पर निर्भर नहीं हैं। वे साल के कुछ महीने बाहर कमाने चले जाते हैं। खेती में उनकी रुचि भी नहीं है। उन्हें लगता है कि खेत तो उनका अपना नहीं है, तो अगर एमएसपी मिलेगा भी, तो जमीन के मालिक को मिलेगा। उसे फायदा नहीं होगा। राजकिशोर सिंह को लगता है कि बिहार में एमएसपी पर किसान आंदोलन की संभावना नहीं है। एक संभावना हो सकती है, अगर भूमि सुधार हो, कृषि को लाभकारी बनाने के लिए इसे उद्योग का दर्जा दिया जाए। लेकिन सवाल है कि सरकार भूमि सुधार क्यों करेगी? तो क्या बिहार की नियति श्रमिक प्रदेश बन कर रह जाने की है?