CBI पूर्व प्रमुख मुसीबत में, अमित शाह का मंत्रालय पड़ा पीछे
CBI पूर्व प्रमुख आलोक वर्मा मुसीबत में फंसते जा रहे हैं. गृहमंत्रालय ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है.
ऐसे में संभावना है कि आलोक वर्मा को मिलने वाले पेंशन और अन्य सुविधायें रोक ली जायेंगी.
गृह मंत्रालय ने डिपार्मेंट ऑफ पर्सोलेल ऐंड ट्रेंनिंग को लिखा है कि आलोक वर्मा के खिलाफ अनुशास्नात्मक कार्रवाई की जाये क्योंकि उन्होंने सेवा में रहते सर्विस रूल का उल्लंघन किया है.
जीन्यूज इंडिया की खबर में बताया गया है कि भ्रष्टचार के मामले में तत्कालीन सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा और उनके सहकर्मी आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना के बीच भारी विवाद हुआ था.
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राकेश अस्थाना फिलवक्त दिल्ली पुलिस के चीफ पद पर तैनात हैं.
सीबीआई के इतिहास में आलोक वर्मा व उनसे जूनियर अफसर राकेश अस्थाना के बीच का विवाद याद रखा जायेगा. यह पहला अवसर था जब उनपर भ्रष्टाचार चार के गांभीर आरोप लगे थे. इस विवाद को कुछ ऐसे मुद्दे से जोड़ कर देखा गया था जिसके तहत भाजपा सरकार की परेशनियां बढ़ गयी थीं.
तब राकेश अस्थाना ने आलोक वर्मा पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया था. जबकि 1979 बैच के अफसर आलोक वर्मा ने भी उन पर पलटवार करते हुए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये थे. इस घटनाक्रम ने अखबारों में बड़ी सुर्खी बटोरी थी. इसी घटना के बाद आलोक वर्मा को पद से हटना भी पड़ा था. बाद में उन्हें फायर सर्विस ऐंड होमगार्ड का महानिदेशक बनाया गया था. आलोक वर्मा ने अपने दो साल का कार्यकाल भी सीबीआई में पूरा नहीं कर सके थे.
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मीडिया की खबरों में बताया गया है कि डिपार्टमेंट ऑफ परसोनेल ऐंड ट्रेंनिंग ने गृह मंत्रालय की सिफारिश को युनियन पब्लिक सर्विस कमीशन को भेज दिया है. युनियन पब्लिक सर्विस कमीशन आईपीए अफसरों की नियोक्ता संस्था है.
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