चीफ जस्टिस ने मोदी को बताया रूल ऑफ लॉ, नियुक्ति टली
भारत के चीफ जस्टिस ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया कि क्या है रूल ऑफ लॉ। विपक्ष के नेता ने सहमति जताई। इसके बाद सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति टल गई।
आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया कि सीबीआई के निदेशक पद पर किसकी नियुक्ति हो सकती है। इस बारे में रूल ऑफ लॉ क्या है। विपक्ष के नेता कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने चीफ जस्टिस का समर्थन किया और इस तरह सीबीआई के निदेशक पद पर होनेवाली नियुक्ति टल गई।
सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति तीन लोगों की कमेटी करती है। इसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस शामिल होते हैं। इसके साथ ही इस पद के लिए 1984 बैच के असम-मेघालय कैडर के अधिकारी वाईसी मोदी और गुजरात कैडर के राकेश अस्थाना इस पद की दौड़ से बाहर हो गए। दोनों छह महीने के भीतर रिटायर होनेवाले हैं।
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आज अप्रत्याशित रूप से देश के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने सीबीआई निदेशक पद के लिए आए तीन नामों पर चर्चा के दौरान रूल ऑफ लॉ बताया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन बताई, जिसके अनुसार इस पद पर नियुक्ति उस अधिकारी की नहीं हो सकती है, जो छह महीने बाद रिटायर होनेवाले हैं। यह गाइडलाइन सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में राकेश सिंह मामले में सुनवाई करते हुए दी थी। सीजेआई का विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने समर्थन किया। इसके बाद माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने रूल ऑफ लॉ का पालन करने की बात कही।
चीफ जस्टिस ने जिस तरह नियमों का हवाला दिया, उसके बाद यह खबर तुरत देशभर में फैल गई। सीबीआई के निदेशक, आईबी, रॉ के निदेशक का पद दो वर्षों के लिए होता है। इन पदों पर नियुक्ति के मामले में अबतक छह महीने नौकरी बचने पर नियुक्ति नहीं होने की शर्त लागू नहीं थी।