चिराग पासवान ने आरा में नव संकल्प रैली को संबोधित करते हुए कहा कि वे बिहार के लिए बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने अपने भाषण में मुश्किल से दो बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिया होगा, जबकि खुद अपना नाम उन्होंने पचासों बार लिया। उनकी रैली से जदयू का टेंशन बढ़ गया है। राजनीतिक क्षेत्रों में माना जा रहा है कि जिस प्रकार चिराग पासवान ने हुंकार भरी है, उससे साफ है कि वे सिर्फ 24-25 सीटों पर मानने वाले नहीं हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या वे 2020 की तरह इस बार फिर 135 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।

चिराग पासवान ने मुश्किल से दो बार प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिया। कहा कि डबल इंजन की सरकार में विकास के काम तेजी से हो रहे हैं। आगे उन्होंने जो कहा कि वह नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा करने वाला है। उन्होंने कहा कि उनका सपना है कि किसी बिहारी को शिक्षा और रोजगार के लिए पलायन नहीं करना पड़े। राज्य में उद्योगों का विकास हो। यहां सवाल उठता है कि बिहार में नीतीश कुमार 20 साल से मुख्यमंत्री हैं, फिर भी पलायन हो रहा है, तो क्या वे नीतीश कुमार की विफलता की ओर इशारा कर रहे थे।

चिराग पासवान का पूरा भाषण यह बताता है कि वे बिहार में नई पारी की शुरुआत करना चाहते हैं और अब वे प्रधानमंत्री मोदी के हनुमान बन कर नहीं, बल्कि बिहार के नेता बन कर काम करना चाहते हैं।

चिराग पासवान ने कांग्रेस की इस बात के लिए आलोचना की कि उसने बाबा साहेब का चित्र संसद में नहीं लगाया, लेकिन कांग्रेस जो सवाल उठा रही है, जैसे जाति गणना, संविधान की रक्षा, प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की चर्चा नहीं की। आज की उनकी रैली को एनडीए पर दबाब बनाने के रूप में भी देखा जा रहा है। उन्हों ज्यादा सीटें मिलीं, तो नीतीश कुमार की सीटें कम हो जाएंगी। सीटों को लेकर एनडीए के भीतर घमासान तेज हो गया है।

 

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