Congress और Kejriwal के बीच पुल बने Tejashwi, हुई मुलाकात
कांग्रेस के साथ विपक्षी एकता से दूर-दूर रहने वाले Kejriwal और कांग्रेस के साथ चलने वाले Tejashwi के बीच दिल्ली में मुलाकात। मुलाकात के गहरे सियासी मायने।
कुमार अनिल
2024 लोकसभा चुनाव के संदर्भ में विपक्षी एकता की दृष्टि से मंगलवार का दिन खास रहा। कांग्रेस से दूर-दूर रहने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा बिहार में कांग्रेस के साथ चल रहे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव दोनों दिल्ली में मिले। यह औपचारिक मुलाकात नहीं थी, बल्कि घोषित रूप से सियासी मुलाकात थी। तो क्या व्यापक विपक्षी एकता करते हुए 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस और केजरीवाल के बीच पुल बन रहे हैं तेजस्वी यादव।
एक प्रमुख अखबार ने संभावना जताई है कि तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के दूत बन कर केजरीवाल से मिले। यह मानना उचित नहीं होगा कि तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के दूत बनकर केजरीवाल से मिले। हां, यह संभव है कि तेजस्वी यादव की मुलाकात पर नीतीश कुमार की भी सहमति हो। आखिर बिहार में दोनों साथ सरकार में हैं और 2024 लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता पर भी दोनों की रणनीति एक ही है। दोनों किसी तीसरे मोर्चे के खिलाफ हैं। दोनों कांग्रेस के साथ विपक्षी एकता का रास्ता तलाशने के हिमायती हैं। पहले भी तेजस्वी यादव स्वतंत्र रूप से ममता बनर्जी सहित कई विपक्षी नेताओं से मिलते रहे हैं। लेकिन इस मुलाकात के खास अर्थ हैं। अगर केजरीवाल को भी विपक्षी एकता के दायरे में लाने की कोशिश सफल होती है, तो इसे बड़ी बात माना जाएगा।
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्वीट करके इस मुलाकात के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों, संसाधनों, राष्ट्रीय संपत्ति और देश को पूँजीपतियों के हाथों गिरवी रख दिया है। हम सबों को मिलकर देश बचाना है। तेजस्वी यादव ने जिस मुद्दे पर बात की है, वह कांग्रेस सहित व्यापक विपक्षी दल उठाते रहे हैं। स्पष्ट है कि तेजस्वी ने केजरीवाल को अपने तथा व्यापक विपक्षी दलों के मुद्दों पर सहमत किया है या सहमत करने की कोशिश की है। इस तरह विपक्षी एकता की दृष्टि से तेजस्वी की केजरीवाल से मुलाकात को सकारात्मक माना जाना चाहिए।
कांग्रेस तथा केजरीवाल में संवादहीनता की स्थिति है। अगर तेजस्वी यादव या नीतीश कुमार दोनों दलों को एक साथ आने पर राजी कर पाते हैं, तो यह विपक्षी एकता की दृष्टि से ऐतिहासिक घटना होगी, जिसे लंबे समय तक याद किया जाएगा। यह भी ध्यान रहे कि बिहार में राजद और जदयू दोनों दल भाजपा विरोधी दलों की एकता को लेकर बिहार को मॉडल बताते रहे हैं। केजरीवाल साथ आए, तो यह उसी बिहार मॉडल की जीत होगी।
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