दलित महिला लेखिका ने अडानी का अवार्ड लेने कर दिया इनकार
भले ही प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में अडानी का नाम तक नहीं लिया, लेकिन मुद्दा खत्म नहीं हुआ है। दलित महिला लेखिका ने अडानी प्रायोजित अवार्ड लेने से किया इनकार।
भले ही लोकसभा में राहुल गांधी के सवालों के जवाब नहीं मिले हों, भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में अडानी का नाम तक नहीं लिया, लेकिन संसद से बाहर समाज में अडानी का मुद्दा खत्म नहीं हुआ है। अब एक दलित महिला कवयित्री ने साहित्य अवार्ड लेने से इनकार कर दिया, क्योेंकि उस अवार्ड की मुख्य प्रायोजक अडानी की कंपनी थी।
दलित लेखिका और कवयित्री सुकीर्थरनी ने साहित्य के क्षेत्र में दिए जानेवाला देवी अवार्ड को लेने से मना कर दिया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि देवी अवार्ड की मुख्य प्रायोजक अडानी की कंपनी थी। उनके इस निर्णय के देश भर में चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया में सराहना की जा रही है। कवयित्री सुकीर्थरनी ने कहा कि अडानी की कंपनी द्वारा प्रायोजिक अवार्ड लेना उनकी विचारधारा के खिलाफ है। सुकीर्थरनी दलित महिलाओं पर केंद्रित साहित्य रचनाओं के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने 4 फरवरी को फेसबुक पोस्ट में अपने निर्णय को सार्वजनिक किया।
दलित महिला लेखिका ने लिखा कि उन्हें कल ही यह जानकारी मिली कि अवार्ड की मुख्य प्रायोजक अडानी कंपनी है। वे कोई ऐसा अवार्ड ले कर खुश नहीं हो सकती थीं, जिसके पीछे अडानी की कंपनी हो। मैं जिस विचारधारा पर अमल करती हूं, यह उसके खिलाफ होता। इसलिए उन्होंने अवार्ड लेने से मना कर दिया। हालांकि उन्होंने न्यू इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप को उनका चुनाव करने के लिए धन्यवाद दिया।
सुकीर्थरनी पेशे से शिक्षिका हैं और तमिलनाडु प्रांत की निवासी हैं। उनके इस निर्णय से एक बार फिर से अडानी समूह चर्चा में आ गया है। सोशल मीडिया में विभिन्न वर्गों के लोग इस दलित लेखिका के निर्णय की सराहना कर रहे हैं।
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