1980 से 2007 तक पटना से बेंगलुरु तक अवैध संपत्तियों का अम्बार लगाने वाले एक्जेक्युटिव इंजीनियर की 16 करोड़ रुपये से ज्यादा की सम्पत्ति को प्रवर्तन निदेशालय ने सीज कर लिया है. अवधेश प्रसाद सिंह नामक इंजीनियर ने संपत्ति बटोरने में कैसे-कैसे नयाबा तरीके अपनाये थे आप भी जानिये.

सिन्हा बिहार सरकार में लघुसिचाई विभाग के चीफ इंजीनियर थे. रिटायरमेंट के कुछ दिन पहले निगरानी ने उन्हें रंगे हाथों पकड़ा था. अब एक दशक बाद उनकी सम्पत्ति जब्त कर ली गयी है.

 

अवधेश प्रसाद सिन्हा ने अनेक बील्डरों और डेवलपरों को सहयोग से सम्पत्ति जमा कने का ऐसा मकड़जाल रचा था कि उसे भेदना आसान नहीं था. कई मामलों में वह पहले अपनी सास के नाम से जमीन खरीदता था. जमीन रजिस्ट्री के बाद सास से उस जमीन को अपने बेटे और अपनी पत्नी के नाम पर गिफ्ट करवा देता था. इस तरह उसने दिल्ली, पटना बेंगलुरू में अनेक कीमती प्लाट खरीदे. पटना में 12 कट्ठे में फैले आलीशान बंगले को भी ईडी ने सीज कर लिया है.

ज्ञात हो कि ईडी की जांच में पता चला कि वर्ष 1980 से 2007 के बीच उन्होंने अपने साथ ही पत्नी व बेटों के नाम पर भी संपत्ति अर्जित की। खासकर शहरों में कीमती जमीन खरीदे। इसमें दूसरों को चकमा देने के लिए शातिर तरीका भी आजमाया गया था। इसी कड़ी में जमीन के एक प्लॉट को अवधेश ने अपनी सास के नाम खरीदा फिर उसे बेटों के नाम गिफ्ट करवा दिया था।

पूर्व कार्यपालक अभियंता के साथ ठेकेदार व एक बिल्डर का भी अहम रोल रहा है.

इस अवैध कमाई पर पहली बार बिहार सरकार के निगरानी विभाग की नजर गयी और उसने छापा मारी की थी. बाद में ईडी ने भी इस मामले को अपने हाथ में लिया. और मनी लांडरिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की.

 

 

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