गजब हो गया! सुशील मोदी ने माना भूमिहार व अतिपिछड़े नाराज
आज तो गजब हो गया। पहली बार नीतीश कुमार और सुशील मोदी में जबरदस्त फर्क सबके सामने आ गया। मोदी ने मान लिया कि भूमिहार और अतिपिछड़े नाराज हैं।
रजनीति में ऐसा नहीं होता कि चुनाव के बाद कोई सीधे स्वीकार कर ले कि फलां-फलां जाति उससे नाराज है। वह भी भूमिहार और अतिपिछड़े नाराज हैं, यह स्वीकार करना भीतर-भीतर किसी उथल-पुथल का संकेत हो सकता है। आज सुशील मोदी ने लगातार चार ट्वीट करके स्वीकार किया कि भूमिहार और अतिपिछड़े नाराज हैं। भूमिहारों को भाजपा अपना अंधभक्त मानती रही है, जबकि जदयू का दावा अतिपिछड़ों को लेकर रहा है।
पहली बार नीतीश और सुशील मोदी में भी फर्क दिखा। बोचहा चुनाव में हार के बाद नीतीश कुमार ने सिर्फ इतना कहा था कि जनता मालिक होती है। जबकि आज सुशील मोदी ने दो जातियों की नाराजगी के साथ ही यह भी कहा कि वे मंथन करेंगे कि ऐसा क्यों हुआ? साफ है इशारा नीतीश सरकार के कामकाज को लेकर है। नीतीश सरकार के कामकाज से भूमिहार और अतिपिछड़े नाराज हैं। निशाना कहीं अपनी पार्टी के नेतृत्व और नीतीश कुमार पर तो नहीं है और क्या यह पार्टी में उनकी अपनी अनदेखी से उपजी निराशा तो नहीं। सुशील मोदी को उपमुख्यमंत्री पद नहीं मिला, फिर केंद्र सरकार में भी जगह नहीं मिली।
सुशील मोदी ने आज शाम 6.13 बजे ट्वीट किया-बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर चुनाव और विधानसभा की बोचहा सीट पर उपचुनाव में एनडीए के घटक दलों के बीच 2019 जैसा तालमेल क्यों नहीं रहा, इसकी भी समीक्षा होगी। अगले संसदीय और विधानसभा चुनाव में अभी इतना वक्त है कि हम सारी कमजोरियों और शिकायतों को दूर कर सकें।
दो मिनट बाद ही फिर लिखा-वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव में एनडीए के घटक दलों ने पूरे तालमेल से एक-दूसरे को जिताने के लिए मेहनत की थी, जिससे हमारा स्ट्राइक रेट अधिकतम था। गठबंधन के खाते में राज्य की 40 में से 39 सीटें आयी थीं, जबकि राजद सभी सीटें हार गया था।
फिर दो मिनट बाद लिखा-इसके बाद भी एनडीए के मजबूत जनाधार अतिपिछड़ा वर्ग और सवर्ण समाज के एक वर्ग का वोट खिसक जाना अप्रत्याशित था। इसके पीछे क्या नाराजगी थी, इस पर एनडीए अवश्य मंथन करेगा।
मोदी ने फिर लिखा-बोचहा विधानसभा क्षेत्र की एक-एक पंचायत में एनडीए विधायकों-मंत्रियों ने जनता से सम्पर्क किया था। पूरी ताकत लगायी गई थी। सरकार ने भी सभी वर्गों के विकास के लिए काम किये और सबका विश्वास जीतने की कोशिश की।
अंत में लिखा-बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर हुए चुनाव में एनडीए को दस सीटों का नुकसान और फिर विधानसभा के बोचहा उपचुनाव में एनडीए उम्मीदवार का 36 हजार मतों के अंतर से पराजित होना हमारे लिए गहन आत्मचिंतन का विषय है। एनडीए नेतृत्व इसकी समीक्षा करेगा, ताकि सारी कमियांँ दूर की जा सकें।
सुशील मोदी के शब्दों पर गौर करिए , कुछ तो पक रहा है।
बिहार के दो IAS अधिकारियों को मिला पीएम अवॉर्ड फॉर एक्सीलेंस