संयुक्त राष्ट्र महासभा में गजा में युद्ध विराम के प्रस्ताव पर भारत के रुख की कांग्रेस ने तीखी आलोचना की है। युद्ध विराम के प्रस्ताव का 12 देशों ने विरोध किया, जबकि 19 देश तटस्थ रहे। वहीं 149 देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। वोटिंग के बाद संयुक्त राष्ट्र से युद्ध विराम का प्रस्ताव पारित हो गया। प्रस्ताव में अविलंब और बिना शर्त युद्ध विराम करने को कहा गया है। वहीं हमास सहित अन्य संगठनों से सभी बंधकों को रिहा करने को भी कहा गया है। प्रस्ताव में इजराइल से कहा गया है कि वह गजा की नाकाबंदी तुरत समाप्त करे, ताकि वहां मानवीय सहायता पहुंचाई जा सके।

प्रसातव पर वोटिंग के दौरान भारत के एब्सटेन करने पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने तीखा विरोध जताया है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भारत का यह रुख हमरा परंपरा के खिलाफ है। भारत हमेशा नरसंहार और युद्ध के खिलाफ रहा है, लेकिन जिस प्रकार वोटिंग के दौरान एब्सटेन किया गया, उससे भारत की साख को धक्का लगा है। खड़गे ने कहा कि यह तेल अवीव के सामने झुकना है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि गजा में 60 हदार फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिसमें ज्यादर बच्चे और महिलाएं हैं। लोग खाने के सामान के लिए तरस रहे हैं। भूखों मरने की स्थिति है। यह मानवीय त्रासदी के समान है। कहा कि आज भारत अपने पुराने सिद्धांत को छोड़ कर तेल अवीव के सामने झुक गया है।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि भारत ने 1974 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन को मान्यता दी थी। 1983 में सातवें गुट निरपेक्ष आंदोलन के शिखर सम्मेलन में यासर अराफात को आमंत्रित किया था और 1988 में फिलिस्तीन को मान्यता देने वाला पहला गैर अरब देश रहा। लेकिन आज उस गौरवशाली परंपरा को तिलांजलि दे दी गई है। भारत की बात वैश्विक मंच पर सुनी जाए, इसके लिए लिए साहस के साथ युद्ध और नरसंहार के खिलाफ खड़ा होना होगा।

 

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