सीवान में हिना शहाब ने निर्दलीय नामांकन कर दिया है। उन्होंने भगवाधारियों के छोटे जत्थे के साथ नामांकन का पर्चा दाखिल किया। नामांकन दाखिल करने का पहले प्रचार नहीं किया गया था, इसलिए इस अवसर पर कोई भीड़ नहीं दिखी। हालांकि उनके नामांकन की खबर मिलने पर कुछ समर्थक पहुंचे, लेकिन तब तक वे पर्चा दाखिल करने के लिए चुनाव अधिकारी के कार्यालय में प्रवेश कर चुकी थीं। उनके साथ जिला परिषद की पूर्व अध्यक्ष लीलावती गिरि, संजय सिंह मुखिया, अजय भास्कर चौहान व कुछ अन्य मुखिया थे। समर्थक भगवा और पीला गमछा और पगड़ी में दिख रहे थे।
हिना शहाब के निर्दलीय नामांकन के साथ ही स्पष्ट हो गया कि वे मुकाबले को तिकोना बनाने की कोशिश करेंगी। सीवान से जदयू की विजय लक्ष्मी कुशवाहा तथा राजद के अवध बिहारी चौधरी प्रत्याशी हैं। पहली नजर में लोगों का मानना है कि हिना के चुनाव लड़ने से इंडिया गठबंधन को नुकसान हो सकता है। यह भी स्पष्ट है कि हिना को कई बार राजद ने पूर्व में प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वे जीत नहीं पाईं। अब जबकि उनके पीछे राजद की शक्ति नहीं है, तो उनके जीतने की संभावना और भी कम हो जाती है। माना जा रहा है कि वे खुद भले ही न जीतें, लेकिन किसी की जीत-हार में भूमिका निभा सकती हैं।
हिना शहाब और राजद के बीच रिश्तों में खटास 2022 में आई, जब गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में हिना शहाब ने राजद का समर्थन नहीं किया, बल्कि भीतर ही भीतर राजद को हराने की कोशिश की। उसके बाद से ही रिश्ते बिगड़ने लगे। राजद उस उप चुनाव में हार गया। इसके बाद हिना शहाब ने कई बार समर्थकों के साथ बैठक की और यही संकेत दिया कि वे राजद से अलग अपना रास्ता तैयार कर रही हैं। अब उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के बतौर नामांकन कर दिया है। उनकी पीछे उनके दिवंगत पति शहाबुद्दीन की विरासत है। शहाबुद्दीन के समर्थकों का एक हिस्सा आज भी हिना के साथ है।
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अब देखना है कि हिना शहाब किस प्रकार राजद पर हमला करती हैं और राजद किस प्रकार यहां मुस्लिम मतों को एकजुट करता है। हालांकि जिस प्रकार हिना ने भगवा रंग अपना लिया है, इससेकुछ नुकसान एनडीए को भी हो सकता है, लेकिन ज्यादा नुकसान राजद को होता दिख रहा है। अभी समय है और देखना होगा कि तेजस्वी यादव जब सीवान जाएंगे, तब किस प्रकार वे अपने पुराने जनाधार को एकजुट करते हैं।