इमारत शरिया मामले में कूदे अशफाक करीम, सर्वसम्मति से हो चुनाव
इमारत शरिया के अमीरे शरियत का चुनाव 9 अक्टूबर को होना है। आज सांसद अशफाक करीम ने उम्मीद जताई कि एदारे व समाज के हित सर्वसम्मति से चुनाव होगा।
इमारत शरिया के अमीरे शरीयत के चुनाव पर न सिर्फ तीन प्रांतों बिहार, झारखंड और ओड़िशा की नजर है, बल्कि एक तरह से पूरे देश की नजर है। मुसलमानों के सबसे प्रतिष्ठित एदारे में एक पटना स्थित इमारत शरिया के अमीरे शरियत का चुनाव दो दिन बाद 9 अक्टूबर को होना तय है। इस पद के लिए कई प्रत्याशी होने से चुनाव को लेकर विवाद चर्चा में रहा है।
आज पूरे मामले में राज्यसभा सदस्य और इमारत शरिया के अमीरे शरियत के चुनाव के लिए बनी कमेटी के कन्वेनर अशफाक करीम ने कहा कि चुनाव से मतभेद उभरना स्वाभाविक है। उसमें एक जीतता है अन्य हारते हैं। कई बार ऐसे चुनाव के बाद नए विवाद शुरू हो जाते हैं, जिससे आपसी मतभेद बढ़ते ही जाते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि समाज और एदारे के हित में अमीरे शरियत का चुनाव सर्वसम्मति से होना चाहिए।
राज्यसभा सदस्य और इमारत चुनाव के लिए बनी कमेटी के कन्वेनर अशफाक करीम ने आज पटना में प्रेस प्रतिनिधियों से बात करते हुए कहा इमारते शरिया सिर्फ धार्मिक मामलों का ही विश्लेषण नहीं करता, बल्कि यह परिवार के विवाद को सुलझाने का बहुत बड़ा केंद्र है। घर में दादा, दादी, नाना-नानी के देहांत के बाद संपत्ति के बंटवारे के विवाद पर भी फैसला देता है। यहां मुस्लिमों के साथ ही हिंदू भी आते हैं कि हमारा फैसला कर दीजिए। उनके भी विवाद यहां हल होते हैं।
अशफाक करीम ने यह भी कहा कि यह एदारा देश-प्रदेश में आपदा आने पर लोगों की मदद और लगातार समाजसेवा के लिए भी जाना जता है।
उन्होंने इमारत शरिया में अबतक अमीरे शरियत के चुने जाने की प्रकिया का हवाला देते हुए कहा कि आज तक वोट देकर चुनाव नहीं किया गया है। जब भी चुनाव हुआ है आपस में मिल-बैठकर, सबकी राय से एक को चुना जाता रहा है। चुनाव करने वाली कमेटी-अरबाबो हल्लो हल (काउंसिल) के सदस्य अमीरे शरियत का चुनाव करते हैं। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि सर्वसम्मति की पुरानी परंपरा को तोड़ने के बजाय इसे कायम रखने की जरूरत है। इसी में एदारा का हित है।
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