तप और साधना में पीड़ा होती है किंतु उसका सुख अलौकिक है :माँ विजया
साधना,श्रद्धा, समर्पण और सेवा, इस्सयोग की चार सीढ़ियाँ हैं। साधना से श्रद्धा बढ़ती है। श्रद्धा से समर्पण और समर्पण से सेवा की भावना आती है। इनकी उपलब्धि यह है कि इससे साधक निखरता है,उसमें अलौकिक शक्तियाँ आती है और अहंकार समाप्त होता है, जिससे ब्रह्म-साक्षात्कार की सभी बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं। साधना में पीड़ा होती है, किंतु इससे जो आनंद प्राप्त होता है, वह अलौकिक है।
यह बातें आज यहाँ बापू सभागार में, अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के तत्त्वावधान में आयोजित गुरु पूर्णिमा महोत्सव में गुरूपूजन के पश्चात अपने आशीर्वचन में संस्था की अध्यक्ष और ब्रह्मनिष्ठ सद्ग़ुरुमाता माँ विजया जी ने कही। माताजी ने कहा कि,फूलों को सूई से गूँथा जाता है। कोई फूल जब चुभन का दर्द सहता है, तब उसे सुंदर हार का हिस्सा बनने की गौरवानुभूति होती है।
माताजी ने जो कहा
माताजी ने कहा कि, इस्सयोगी साधकगण अब आध्यात्मिक दृष्टि से तेज़ी से आगे बढ रहे हैं। उनमें दिव्य-शक्तियाँ आने लगी है। भारतीय समाज में आदि-गुरु के रूप में प्रतिष्ठित महर्षि वेद व्यास जी के जन्म-दिवस को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन शिष्य गुरु-चरणों में अपनी श्रद्धा विशेष रूप से अर्पित करते हैं और उन्हें सद्ग़ुरु का विशेष आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इसीलिए गुरु-शिष्य परंपरा में यह एक विशिष्ट दिवस है।
महोत्सव का उद्घाटन श्रीमाँ द्वारा मंगल-दीप प्रज्वलन कर किया गया। इसके पश्चात इस्सयोग के संस्थापक और ब्रह्मलीन सदगुरुदेव महात्मा सुशील की सूक्ष्म-उपस्थिति हेतु आधे घंटे की ‘आह्वान-साधना’की गई। संस्था के उपाध्यक्ष बड़े भैय्या श्रीश्री संजय कुमार तथा संस्था के संयुक्त सचिव अभियंता उमेश कुमार ने, समस्त इस्सयोगियों के प्रतिनिधि स्वरूप यज्ञमान के रूप में’गुरु-पूजन’किया। संयुक्त सचिव दीनानाथ शास्त्री ने पुरोहित के रूप में पूजन संपन्न कराया।
संकीर्तन का आयोजन
गुरूपूजन के पश्चात एक घंटे का अखंड संकीर्तन किया गया। इस अवसर पर अपने उद्गार में पूज्य बड़े भैय्या ने कहा कि, परम आराध्य सदगुरुदेव और गुरुमाँ ने हमें बड़ा ही दिव्य-मार्ग प्रदान किया है, जिस पर हमें पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ आगे बढ़ना चाहिए। गुरु-चरणों में हमारा समर्पण जितना बढ़ेगा हमें उतना हीं लाभ पहुँचेगा।इस अवसर पर संयुक्त सचिव छोटे भैय्या संदीप गुप्ता, लक्ष्मी प्रसाद साहू, डा अनिल सुलभ, अनीता राज, सरोज गुटगुटिया,महेंद्र सिंह,दीनानाथ शात्री,नीतीन साहू, सुमन सुहासरिया तथा हरि पण्डा ने कार्यसमिति के अधिकारियों और सदस्यों के रूप में अपने उद्गार व्यक्त किए।
महाप्रसाद के बाद संध्या ४ बजे इस्सयोग की आंतरिक साधना आरंभ करने के लिए आवश्यक शक्तिपात-दीक्षा का कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें माँ विजया जी द्वारा सैकड़ों नव-जिज्ञासुओं को’शक्तिपात-दीक्षा’प्रदान की गई।
इस अवसर संस्था की संयुक्त सचिव संगीता झा, रेणु गुप्ता, नीना दूबे,शिवम् झा, अनंत कुमार साहू, श्रीप्रकाश सिंह, विजय रंजन ,माया साहू, सुशील प्रजापति, युगल किशोर प्रसाद, सी एल प्रसाद, विनोद तकियावाला, दुर्गादास पण्डा, ए के खरे,प्रभात झा, राजीव कुमार रंजन समेत दुनिया भर से आए सात हज़ार से अधिक इस्सयोगी उपस्थित थे।