जालियांवाला बाग : सरकार ने की ऐतिहासिक स्थल की ऐसी-तैसी
जालियांवाला बाग जैसा देश में दूसरा शहीद स्थल नहीं। यह अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता का भी प्रतीक है। इसे मोदी सरकार ने इवेंट स्थल बना दिया। क्यों देश है नाराज?
जालियांवाला बाग अंग्रेजी हुकूमत की बर्बरता की निशानी है। यहां आकर लोग इतिहास से रू-ब-रू होते हैं। आंखें नम होती हैं। श्रद्धांजलि देते हैं। अब सरकार ने इसे इवेंट स्थल बना दिया है। खूबसूरत और रंग-बिरंगी लाइट। अपने इतिहास के साथ इस मजाक पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा- जलियाँवाला बाग़ के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है जो शहादत का मतलब नहीं जानता। मैं एक शहीद का बेटा हूँ- शहीदों का अपमान किसी क़ीमत पर सहन नहीं करूँगा। हम इस अभद्र क्रूरता के ख़िलाफ़ हैं।
युवा कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी ने कहा-जलियांवाला बाग मुखबिर संघियों के अंग्रेज मालिकों द्वारा आजादी के सेनानियों पर की गयी क्रूरता, बर्बरता और नरसंहार का प्रतीक है, उसको अपनी सनक के चलते ‘Event’ मत बनाइये मोदी जी, क्योंकि जहां मौत होती है वहां मातम मनाया जाता है, शहीदों को याद किया जाता है न कि जश्न मनाया जाता है..।
साक्षी ने एक फोटे शेयर किया है, जिसमें मजदूर जालियांवाला बाग की दीवारों पर अंग्रेजी गोली से बने छिद्र को भर रहे हैं। इस पर भी लोगों ने नाराजगी जताई है।
कवि -गीतकार पुनीत शर्मा ने कहा-यार! इस बर्बादी को कैसे कोई डिफेंड कर सकता है? कैसे कोई इस जगह की एक ईंट को भी बदल सकता है? आप इतिहास को बचाने की बातें कर रहे हो और ऐतिहासिक धरोहरों का ये हाल कर रहे हो? ये इतिहास को लेकर आपकी समझ है? सच है। इस देश की संस्कृति सचमुच खतरे में है और वो खतरा कोई और नहीं, आप हैं।
लेखिका सुमन केसरी ने कहा-सुना है जलियाँवाला बाग का वो कुआँ पाट दिया गया है, जहाँ कईयों ने कूद कर जान दी थी… बचपन में जलियाँ वाला बाग पर एक पाठ था, बंदूके-गोलियाँ, भगदड़ और गोद में बच्चा लिए कुएँ में छलांग लगाती औरत.. पचास साल बाद भी यह आँखों व दिमाग में ताजा है.. जिंदा कौमें क्या अब भी चुप बैठेंगी? थू!
जनसत्ता के पूर्व संपादक और लेखक ओम थानवी ने कहा- न इन्हें इतिहास की समझ है, न संरक्षण की। न अतीत की वेदना की, न वर्तमान में प्रेरणा की। बस चले तो ऐसी जगहों को रिजोर्ट बना दें, अडानी-अम्बानी को ठेके पर दे दें!
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