जनता महंगाई से त्रस्त, कांग्रेस जाति गणना भुनाने में लगी : मायावती
जनता महंगाई से त्रस्त, कांग्रेस जाति गणना भुनाने में लगी : मायावती। यह भी कहा कि जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी कांग्रेस का चुनावी शिगूफा।
बसपा प्रमुख मायावती ने शनिवार को कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि जनता महंगाई से त्रस्त है और कांग्रेस जाति गणना तथा भाजपा महिला आरक्षण को चुनाव में भुनाने में लगी है। उन्होंने कहा कि जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी कांग्रेस का नया चुनावी शिगूफा है।
1. अगले विधानसभा आमचुनाव से पहले सत्ताधारी कांग्रेस व भाजपा द्वारा किस्म-किस्म के लुभावने वादे किए जाने से चुनावी माहौल प्रभावित हो रहा है, किन्तु प्रश्न यह है कि जो वादे अब किए जा रहे हैं वे पहले समय रहते क्यों नहीं लागू किए गए? इस प्रकार घोषणाओं में गंभीरता कम व छलावा ज्यादा।
— Mayawati (@Mayawati) October 7, 2023
मायावती ने लगातार तीन ट्वीट करके कांग्रेस तथा भजपा पर हमला किया। कहा कि अगले विधानसभा आमचुनाव से पहले सत्ताधारी कांग्रेस व भाजपा द्वारा किस्म-किस्म के लुभावने वादे किए जाने से चुनावी माहौल प्रभावित हो रहा है, किन्तु प्रश्न यह है कि जो वादे अब किए जा रहे हैं वे पहले समय रहते क्यों नहीं लागू किए गए? इस प्रकार घोषणाओं में गंभीरता कम व छलावा ज्यादा।
उन्होंने अगले ट्वीट में कहा कि देश की जनता महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी व भ्रष्टाचार की मार से त्रस्त है, किन्तु कांग्रेस व भाजपा दोनों जातीय गणना, ओबीसी व महिला आरक्षण को चुनाव में भुनाने मे लगी हैं ताकि अपनी विफलताओं पर पर्दा डाल सकें। लेकिन जनता इसे छलावा मानकर अब और इनके बहकावे में आने वाली नहीं।
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि साथ ही, ’जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी हिस्सेदारी’ कांग्रेस का नया चुनावी शिगूफा। क्या आजादी के बाद से कांग्रेस ने कभी भी अपनी पार्टी व सरकार में इस पर अमल करके दिखाया। नहीं, तो फिर इन पर विश्वास कैसे? जबकि बीएसपी ने पार्टी व अपनी सरकार में इस सामाजिक न्याय को लागू करके दिखाया।
स्पष्ट है कि मायावती ने जाति गणना को चुनावी लाभ के लिए दिया नारा करार दिया है। उत्तर प्रदेश में भी सपा और कांग्रेस जाति गणना कराने की मांग कर रही है। अभी तक भाजपा ने इसका विरोध नहीं किया है। अब देखना है कि बसपा प्रमुख के इस बयान के बाद भाजपा क्या कहती है। हालांकि उत्तर प्रदेश में भी ओबीसी राजनीति गरमा गई है। मायावती के इस स्टैंड से उनके इंडिया गठबंधन में शामिल होने की संभावनाएं खारिज हो गई लगती है।
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