JDU अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ अध्यक्ष पर लगा उर्दू विरोधी होने का आरोप
मुख्यमंत्री नीतीश कुमारने अनेक बार उर्दू के विकास के लिए न सिर्फ अपनी वचनबद्धता दोहराई है बल्कि हजारों उर्दू पदों पर नियुक्तियां भी की हैं. इसी तरह आप देख सकते हैं कि बड़े सरकारी भवनो पर भी उर्दू में बोर्ड लगाये जाते हैं. इस के अलावा जनता दल युनाइटेड की तरफ से होने वाले कार्यक्रमों में भी बड़ी संख्या में बैनर और होर्डिंग उर्दू में लगाये जाते हैं.
लेकिन जनता दल युनाइटेड के अल्पसंख्यक प्रकोष्ट की तरफ से 28 अप्रैल को आयोजित होने वाले दावत ए इफ्तार का आमंत्रण पत्र सिर्फ हिंदी में प्रकाशित किये जाने पर हंगामा मच गया है. भले ही यह हंगामा डिसिप्लीन का ख्याल रखते हुए सतह पर नहीं आया है लेकिन जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ अधय्क्ष सलीम परवेज ( Salim Parwez) की जोरदार आलोचना की जा रही है.
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इस संंबंध में पहला विवाद जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अंदर ही शुरू हो गया. पार्टी के एक नेता ने जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के नये नवेले अध्यक्ष सलीम परवेज पर जोरदार तंज कसते हुए कहा कि उनसे मिलिये तो वह बात बात में उर्दू शेर सुनाते हैं लेकिन वह एक आमंत्रण पत्र उर्दू में नहीं लिखवाना चाहते क्योंकि इससे दो चार हजार रुपये का ज्यादा खर्च हो जायेगा.
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गौरतलब है कि 28 अप्रैल को आयोजित होने वाले दावत ए इफ्तार में सैकड़ों लोगों को आमंत्रण पत्र भेजा गया है. इस संबंध में जदयू के एक सीनियर लीडर ने दावा किया है कि अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने सिर्फ हिंदी में ही आमंत्रण पत्र छपवाया है.
उर्दू के विकास पर की राह में रोड़ा अटकाने का इल्जाम गैर उर्दू समाज पर डाल कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेने वाले उर्दू के कर्णधार इस मामले में चुप हैं. सत्ताधारी दल के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष के द्वारा भेजे गये हिंदी में आमंत्रण पत्र पर चाह कर भी लोग विरोध नहीं जाता रहे हैं क्योंकि यह अपनी ही पार्टी का मामला है. लेकिन जनता दल यू के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अनेक नेताओं ने खुल कर जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सलीम परवेज की शिकायत नौकरशाही डॉट कॉम से की है.
इस संबंध में जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सलीम परवेज से सम्पर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन सम्पर्क नहीं हो सका.