जदयू के दिलेश्वर कामत लोकसभा में दल के नेता होंगे, जबकि राज्यसभा में संजय झा को नेतृत्व की कमान सौंपी गई है। दिलेश्वर कामत सुपौल से दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीते हैं। वहीं संजय झा बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को करीबी हैं और बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उनके भी केंद्र में मंत्री बनने की चर्चा थी, लेकिन एक ही कैबिनेट मंत्री का पद मिलने से उनके लिए जगह नहीं बन सकी। मुंगेर से सांसद ललन सिंह कैबिनेट मंत्री बने। वहीं रामनाथ ठाकुर राज्यमंत्री बने। संजय झा पिछले दिनों राज्य सभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए थे।

दिलेश्वर कामत का महादलितों तथा अतिपिछड़ों में खासा प्रभाव है। याद रहे इस बार एनडीए का हिस्सा रहे जदयू ने 16 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें पार्टी को 12 सीटों पर जीत मिली थी।

इधर जदयू ने एमएलसी उपचुनाव के लिए भगवान सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। मालूम हो कि राजद ने अभय कुशवाहा को लोकसभा में नेता बनाया है। माना जा रहा है कि राजद के इस दांव की काट के लिए भगवान सिंह कुशवाहा को एमएलसी प्रत्याशी बनाया गया है। लोकसभा चुनाव में कुशवाहा समाज की एनडीए से खासकर भाजपा से नाराजगी साफ दिखी थी। अगले साल 3025 में बिहार विधानसभा चुनाव है। उस दृष्टि से लोकसभा में दिलेश्वर कामत को नेता तथा भगवान सिंह कुशवाहा को एमएलसी प्रत्याशी बनाए जाने का खास महत्व है।

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पहली बार लोस अध्यक्ष के लिए चुनाव, बिरला के सामने दलित सांसद

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संजय झा मुख्यमंत्री के करीबी नेताओं में एक हैं। भाजपा से उनके रिश्ते बेहतर हैं और कहा जाता है कि विभिन्न दलों से संबंध और समन्वय बनाने में संजय झा की अहमियत है। उनका सभी दलों के नेताओं से संबंध हैं। संजय झा को राज्यसभा में नेता बनाए जाने से जदयू का भाजपा के साथ संबंध मजबूत होगा। हालांकि वे बिहार के हितों के लिए भाजपा पर दबाव बनाएंगे, इसकी उम्मीद नहीं की जाती। वे भाजपा के साथ बेहतर संबंध बनाए रखेंगे, इसकी उम्मीद की जाती है।

किशनगंज के सांसद मो. जावेद का अभिनंदन 29 को

By Editor


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