JDU में गृहयुद्ध, RCP के तीन समर्थकों के पर कतरे
Janta Dal United (JDU) के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष Lalan Singh ने ‘अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं’ कह कर जता दिया है कि पार्टी में गृहयुद्ध जैसी स्थिति है.
ललन सिंह (Lalan Singh) की पूर्व अध्यक्ष आरसीपी सिंह के वफादारों के प्रति कितनी नाराजगी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने दल के सभी 32 प्रकोष्ठों के विधानसभा व लोकसभा प्रभारियों के पदों को झटके में समाप्त करने की घोषणा कर दी है. इतना ही नहीं, तीन मुख्यालय प्रभारियों को भी हटा कर जिलों में फेक दिया है.
आरसीपी सिंह के अध्यक्ष रहते कुछ ही महीने पहले पार्टी के निर्णायक पदों पर सैकड़ों नेताओं की नियुक्ति की गयी थी. जाहिर है इनमें अधिकतर आरसीपी सिंह के वफादार थे. इनमें चंदन कुमार, अनिल कुमार व परमहंस कुमार प्रदेश महासचिव सह मुख्यालय प्रभारी थे. इन तीनों नेताओं को मुख्यालय से बाहर का रास्ता दिखाते हुए ललन सिंह ने इन्हें जिलों में भेज दिया है. परमहंस कुमार को बक्सर का प्रभारी बनाया गया है जबकि अनिल कुमार व चंदन कुमार को अररिया व किशनगंज भेज दिया गया है.
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उधर नौकरशाही डॉट कॉम को आरसीपी के समर्थ नेताओं ने बताया है कि हालात बहुत नाजुक हैं. प्रदेश मुख्यालय से जुड़े एक जदयू नेता, जो आरसीपी के समर्थक हैं, ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि किसी कब और कहां फेक दिया जाये यह कहना मुश्किल है. उधर ललन सिंह की इस कार्रवाई से आरसीपी खेमे में जबर्दस्त बेचैनी है.
ख्याल रहे कि ललन सिंह और आरसीपी सिंह के बीच रस्साकशी के हालात तब से सतह पर आ गये हैं जब ललन सिंह अध्यक्ष पद संभालने के बाद पहली बार पटना पहुंचे थे. ललन सिंह के पटना आगमन पर स्वागत समारोह के दौरान भी दोनों नेताओं के बीच साफ लकीर दिखी थी.
पर्दे के पीछे नीतीश
इस बीच आरसीपी सिंह की पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ वन-टु-वन मीटिंग हुई थी. समझा जाता है कि आरसीपी सिंह ने ललन के कार्यक्लाप पर भी नीतीश से बात की थी.
राजनीतिक पंडित इस बात का अंदाजा लगा रहे हैं कि ललन-आरसीपी के बीच छिड़े युद्ध में नीतीश कुमार की क्या भूमिका है. कुछ सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार यह भलिभांति जानते हैं कि जदयू के दो कोर वोटर्स कुर्मी और कोयरी हैं. इस समूह को भूमिहार समाज की कीमत पर इग्नोर नहीं किया जा सकता. जदयू के रणनीतिकारों को यह भी पता है कि 2020 चुनाव में पार्टी को भूमिहारों का मजबूत समर्थन नहीं मिला था.
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ऐसे में समझा जा रहा है कि नीतीश कुमार , ललन सिंह को एक हद से बाहर जाने की इजाजत नहीं दे सकते.