क्या Nitish उपेंद्र कुशवाहा को अध्यक्ष बनाने का जोखिम उठाएंगे
जदयू में सरगर्मी है। चर्चा है कि उपेंद्र कुशवाहा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले हैं। उनसे मिलनेवालों की कतार बढ़ गई है। क्या Nitish ये जोखिम उठाएंगे?
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आजकल जदयू में बहुत गहमागहमी है। उपेंद्र कुशवाहा से मिलनेवालों की संख्या बढ़ गई है। पार्टी कार्यकर्ता मान रहे हैं कि दिल्ली में मोदी मंत्रिमंडल में इस बार जदयू शामिल होगा। उम्मीद है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बनेंगे। एक नेता एक पद के सिद्धांत पर वे राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़ेंगे, उसके बाद इस पद पर उपेंद्र कुशवाहा की तोजपोशी होगी। लेकिन इसमें कई अगर-मगर भी हैं।
वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा दोनों की पृष्ठभूमि अलग-अलग रही है। आरसीपी सिंह आईएएस अधिकारी रह चुके हैं और उनकी कार्यशैली भिन्न है, जबकि उपेंद्र कुशवाहा जमीनी नेता रहे हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर उनकी भूमिका और प्रभाव दोनों भिन्न होगा। पार्टी कार्यकर्ताओं का एक हिस्सा इसीलिए मान रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनेंगे।
ये कार्यकर्ता 2014 को याद कर कहते हैं कि तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव परिणाम में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ दिया था। उन्होंने जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन उनके साथ जल्द ही तालमेल टूट गया और फिर से नीतीश कुमार ने कमान संभाली। इस कड़वे अनुभव को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भूले नहीं होंगे। इसलीए वे उपेंद्र कुशवाहा को शायद ही पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाएं।
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यहां सवाल उठता है कि उपेंद्र कुशवाहा नहीं, तो कौन? ऐसे में जदयू किसी सवर्ण या दलित समुदाय से आनेवाले नेता को यह जिम्मेदारी दे सकता है। इसके विपरीत एक विचार यह है कि उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पुराना लव-कुश समीकरण फिर से मजबूत होगा, जिससे भाजपा को भी एक संदेश जाएगा। बहुत पेंच है। इसीलिए नेता पत्रकारों के यहां फोन कर रहे हैं और पत्रकार नेता को टटोल रहे हैं।
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