मेडल प्रवाहित करने बेटियां हरिद्वार में, मोदी पर गरजे हेमंत सोरेन

आज देश का सिर शर्म से झुक गया। मेडल प्रवाहित करने बेटियां हरिद्वार में। कुछ नीच लोग कह रहे सरकार का पैसा भी लौटाओ। हेमंत सोरेन और खड़गे ने क्या कहा-

आज देश का सिर शर्म से झुक गया। यौन शोषण के खिलाफ कार्रवाई न होने उल्टा देश की स्टार बेटियों पर ही एफआईआर करने, सड़क पर घसीटे जाने से क्षुब्ध महिला पहलवानों ने अपने मेडल गंगा में प्रवाहित करने के लिए हरिद्वार में हैं। खबर लिखे जाने तक किसान नेता राकेश टिकैत वहां पहुंच गए हैं और बेटियों से मेडल गंगा में प्रवाहित करने से रोकने, मनाने की कोशिश कर रहे हैं।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने बेटियों के हरिद्वार पहुंचने पर बिना नाम लिये मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा-अपनी कड़ी मेहनत, निष्ठा, संघर्ष और लगन से आपने ये मेडल्स जीते हैं। आपका खून-पसीना, आपकी आत्मा बसती है इन मेडल्स में। आप अकेले नहीं हैं। पूरा देश आपके साथ है। आप सभी से विनम्र आग्रह है इन मेडल्स को गंगा में न बहाए। पूरे देश को पता चल गया है अहंकार और तानाशाही से यह देश नहीं चल सकता।

सोशल मीडिया में कई नीच किस्म के लोग भी सक्रिय हैं, जो कह रहे हैं कि मेडल के साथ सरकार का इनाम भी लौटा दो। और नौकरी भी छोड़ दो। पाठक समझ सकते हैं कि ये किस दल के समर्थक हैं, जो बेटियों के खिलाफ और यौन उत्पीड़न के आरोपी के पक्ष में बोल-लिख रहे हैं। इस प्रजाति का भी अपना इतिहास है।

खैर इन नीच लोगों से न तो महिला पहलवाल डरने वाली हैं और न ही समर्थन घटने वाला है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा-भारत की बेटियाँ कह रहीं हैं कि “पुलिस और तंत्र” अब पवित्र नहीं रहा। पिछले कई दिनों से देश का सम्मान बढ़ानेवाली बेटियों के साथ जो हुआ है वो सब ने देखा है। मोदी जी, लाल क़िले से महिला सम्मान का लंबा लेक्चर देते हैं, पर यौन शोषण का आरोपी को पूरा संरक्षण है।

उन्होंने कहा कि आख़िर क्या ज़िद है, बेटियों को न्याय क्यों नहीं मिल सकता ? क्यों बेटियों को ही कठघरे में खड़ा किया गया है ? क्यों वो माँ गंगा में मेडल प्रवाह करने के लिए मजबूर हुईं ? ‘बेटी बचाओ’ नहीं अपराधी बचाओ, देश के गौरव को ठेस पहुँचाओ ?

कई लोगों ने लिखा कि महिला पहलवान लगता है लड़ाई हार गई हैं, तभी मेडल गंगा में प्रवाहित कर रही हैं। इससे कई लोग असहमत दिखे। उनका कहना था कि बेटियां हारी नहीं हैं, बल्कि गंगा में मेडल प्रवाहित करना भी संघर्ष का ही रूप है।

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