मुन्नी और श्रुति प्रेरणा की दो तस्वीरें हैं- हक की बात
मुन्नी रजक और श्रुति शर्मा इनके नाम हैं. दोनों महिलाएं एक ही दिन सुर्खियों में छा गईं।श्रुति IAS टॉपर घोषित हुईं। मुन्नी को राष्ट्रीय जनता दल ने MLC प्रत्याशी घोषित किया।
श्रुति ( Shruti Sharma IAS) ने अपना लक्ष्य निर्धारित किया.कड़ी साधना की. और आज आईएएस टॉपर घोषित हो गयीं. लेकिन दूसरी तरफ पटना से सटे खुसरोपुर की मुन्नी रजक की कहानी कुछ अलग है. अशिक्षित मुन्नी ने अपना जीवन लोगों के कपड़े धोने और उन्हें आइरन करने में लगाया. बच्चों के पेट पाले. लेकिन उनके अंदर एक अद्भुत तेज है. वह लालु प्रसाद के आदर्शों की मुरीद हैं. अपने बचे समय को लालु प्रसाद के आदर्शों को आम महिलाओं तक पहुंचाने में खपाया. उन्हें राष्ट्रीय जनता दल ने बुलावा भेजा और उन्हें विधान परिषद का प्रत्याशी घोषित कर दिया.
ये भी पढ़ें- Nitish Effect Of Politcs तो कुछ यूं लिखा जायेगा इतिहास
मुन्नी रजक ( Munni Rajak) की जीत सुनिश्चित है. जैसे यह खबर सोशल मीडिया पर वॉयरल होने लगी कुछ लोगों ने राष्ट्रीय जनता दल के इस फैसले की तीखी आलोचना शुरू कर दी. कुछ ने कहा अनपढ़ को एमएलसी बनाने से क्या होगा. वह माननीया के रूप में जनता की क्या सेवा कर पायेंगी. कुछ ने उन्हें गंवार और जाहिल कहा जो शुद्ध-शुद्ध हिंदी भी नहीं बोल पातीं.
दोनों महिलाएं एक ही दिन सुर्खियों में छा गईं।श्रुति IAS टॉपर।मुन्नी को @yadavtejashwi ने MLC बनाया।श्रुति ने 18 वर्ष पढ़ाई की।मुन्नी ने 30 साल सामाजिक न्याय,संगठन कौशल व पॉलिटकल इंफ्लुएंसिंग का अध्ययन किया।मुन्नी अपनी विधा में PhD धारक से कम नहीं।मुन्नी को अनपढ़ कहने वालो सोच लो! pic.twitter.com/jKyXIVJyF3
— Irshadul Haque (@IrshadulHaque9) May 31, 2022
दर असल वे ऐसे लोग हैं जो एक दलित महिला के संघर्ष , जद्दोजहद और सफलता को नहीं पचा पाते. लेकिन मुन्नी की काबिलियत को तेजस्वी यादव ने प्रतीक के रूप में प्रमाण पत्र दिया है, यह नहीं भूलना चाहिए.
बेशक श्रुति की सफलता काबिले तारीफ है. वह यूपीएससी की परीक्षा की टॉपर हैं. उनके सामने देश और समाज की सेवा के लिए लम्बा वक्त पड़ा है. उन्होंने अपने बूते सिस्टम के शिखर तक पहुंचने का जज्बा दिखाया.
लेकिन मुन्नी रजक के संघर्ष की कहानी कहीं से भी कम प्रेरणादायी नहीं है. उनकी जुबान में खूबसूरत श्बदों की कमी उनके अशिक्षित होने के कारण है. लेकिन उन्होंने सामाजिक न्याय, सेक्युलरिज्म और संगठन क्षमता का जितना अध्ययन किया है.उसका किसी विश्वविद्यालय के द्वारा नहीं किया जा सकता. अगर ऐसी कोई व्यवस्था होती तो मुन्नी देवी ( रजक) को किसी भी युनिवर्सिटी से पीएचडी की मानक उपाधि मिल सकती है.
मुन्नी ने अपने जीवन के 30-32 वर्ष सामाजिक न्याय के संघर्ष, संगठन कौशल और पॉलिटिकल इंफ्लुएंसर व पॉलिटकल मोबिलाइजर की भूमिका में खपाये. नतीजतन गांव की सधारण महिलाओं को मोबिलाइज करने की उनकी क्षमता के लालू प्रसाद भी कायल रहे हैं. भले ही मुन्नी, अशिक्षित हों. उनके पास शब्दावली की कमी हो. लेकिन उनमें संवाद कौशल ऐसा ही कि बड़े से बड़े पढ़े-लिखे तीसमार खां उनकी बराबरी नहीं कर सकते.
देश के किसी भी सदन का सदस्य बनने के लिए किसी डिग्री की आवश्यकता शायद इसी लिए स्वीकार नहीं की गयी क्योंकि जनप्रतिनिधि अपने संवाद कौशल से आम लोगों को प्रभावित कर सकता है तो बस यही योग्यता काफी है. वह समाज की समस्याओं को समझने की सलाहियत रखता/ रखती है और उन समस्याओं के निराकरण की सच्ची लगन उसमें है तो डिग्री बेमानी है.
बीते एक दिन में आपने मुन्नी के देसज अंदाज का संवाद कौशल देख लिया होगा. अब यकीन मानिये कि उनसे लाखों साधारण महिलायें प्रेरणा लेंगी. साधारण महिलायें अपने इस साधारण जनप्रतिनिधि को खुल कर और बेबाकी से अपनी समस्यायें सुनाएंगी. और फिर मुन्नी बिहार के उच्च सदन में उनका बखूबी प्रतिनिधित्व करेंगी.
Irshadul Haque can be contacted on twitter @irshadulhaque9