MY से आगे A to Z की राजनीति कैसे करे RJD, क्या है चैलेंज
आज राजद जिलाध्यक्षों की बैठक हुई। एजेंडा था स्थापना दिवस। MY समीकरण RJD का अतीत है। वर्तमान है A to Z की राजनीति। पर असली चैलेंज क्या है?
दो दिनों में राजद की दो बैठकें हो चुकीं। कल विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने अपने सभी विधायकों के साथ बैठक की और आज सभी जिलाध्यक्षों के साथ। दोनों दिन बैठक का एजेंडा एक ही था-5 जुलाई को स्थापना दिवस की सफलता। यह चर्चा हुई कि पार्टी की विचारधारा को जनता में प्रचारित करना है। क्या इतना कहना काफी है? आज देश के सामने मुख्य खतरा क्या है और क्या वहां राजद चुनौती देता दिख रहा है?
देश की लोकतांत्रिक शक्तियों के समक्ष मुख्यतः दो स्तरों पर गंभीर चुनौतियां हैं। डेमोक्रेसी इंडेक्स में भारत लगातार नीचे जा रहा है। पिछले सात वर्षों में एक भी कानून ऐसा नहीं बना, जिससे जनता के हाथ में ताकत आई हो। इसके विपरीत जनता की भागीदारी चुनाव में वोट डालने को छोड़कर घटी है।
द वायर पत्रिका पर कई मुकदमे हो चुके। पत्रकार से लेकर एक्टिविस्ट तक जेलों में बंद हैं। खुद न्यायालय यूएपीए के इस्तेमाल पर गंभीर सवाल उठा चुका है। अब इस तरह पत्रकारों पर मुकदमे होंगे, तो अखबार विरोध करने का साहस कैसे करेंगे।
लोकतंत्र के बाद दूसरी चुनौती देश की धर्मनिरपेक्षता का है। बंगाल में ममता बनर्जी को बेगम कहने से लेकर हर तरह की कोशिश की गई, जिससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़े।
5 को करोड़ों लोगों तक पहुंचेगा राजद का संदेश : अनवर राजद प्रवक्ता अनवर हुसैन ने पार्टी जिलाध्यक्षों की बैठक के बाद कहा कि पांच जुलाई को लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के संदेश को करोड़ों लोगों के बीच पहुंचाया जाएगा। तेजस्वी यादव ने कहा कि राजद ए टू जेड यानी हर वर्ग की पार्टी है। इसीलिए कार्यकर्ता हर वर्ग के बीच जाएंगे। पार्टी की विचारधारा को बताएंगे।
लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता, जो भारत की आत्मा रही है, उसी पर हमले हो रहे हैं। इन सवालों पर राजद को और अधिक मुखर होना चाहिए। पहले माय और अब ए टू जेड की राजनीति भी सामाजिक समीकरण की ही राजनीति है। समीकरण बनाना अच्छा है, पर जनाधार का राजनीतिकरण उससे कहीं ज्यादा जरूरी है। अगर राजनीतिकरण नहीं किया गया, तो समीकरण टिकेगा कैसे? ए टू जेड का समीकरण ही नहीं बनाना होगा, बल्कि उसकी राजनीति भी करनी होगी। इसमें महंगाई, बेरोजगारी तो है, पर लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता का सवाल सबसे बड़ा है।
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अबतक क्षेत्रीय दलों के बारे में माना जाता रहा है कि वे लोकतंत्र-धर्मनिरेपक्षता जैसे राष्ट्रीय सवालों पर कम बोलते हैं। हालांकि, प. बंगाल में ममता बनर्जी और झारखंड में हेमंत सोरेन भाजपा की नीतियों के खिलाफ मुखर हैं।
अच्छा होगा, 5 जुलाई को राजद राष्ट्रीय राजनीति में हस्तक्षेप करे। देश की आत्मा को बचाने के लिए कोई नारा दे।
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