मदरसों में शैक्षिक सुधार की जरुरत
हिन्दुस्तान में मदरसों को राष्ट्रीय मुख्य धारा से जोड़ने और इसके आधुनिकीकरण की जरुरत है. हिन्दुस्तानी मुसलमान शिक्षा तक पहुँच के मामले में पीछे हैं और इनके शैक्षिक पिछड़ेपन पर काबू पाने के लिए प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करना होगा. अगर कोई बच्चा मदरसा जा रहा है तो ये समझना चाहिए कि उसे स्कुल जाने का मौका नहीं है. अगर एक बच्चा मदरसे में अपना पंजीकरण कराने के कुछ वर्षों बाद सरकारी स्कुल तक पहुँच हासिल करता है तो उसकी नींव और समझ इतनी कमजोर होती है कि वो दूसरें बच्चों के साथ मुकाबला करने में सक्षम नहीं होता है. प्राथमिक शिक्षा के ठोस आधार के बिना, उच्च शिक्षा और उसके परिणामस्वरूप जॉब मार्किट में प्रतिनिधित्व की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
मदरसों में रोजगारपरक, आधुनिक और सेक्युलर मूल्यों पर आधारित शिक्षा की जरूरत
मदरसों में आज जो पढ़ाते हैं वो पूरी तरह असंबंध और समय के साथ साम्य नहीं रखता है. इसका पाठ्यक्रम प्राचीन है और समकालीन स्थिति में जिसे शिक्षा कहा जाता है, इसके पाठ्यक्रम में सम्मिलित नहीं है. वास्तव में पाठ्यक्रम में धर्म की बहुलता है और ऐसा लगता है जैसे एक मुसलमान के लिए अपने धर्म से अलग और कुछ भी शोध करने को नहीं है. इस्लामी सिधान्तो के साथ इस जुनून का मतलब है कि मदरसों में शिक्षा प्राप्त करने वाले मुस्लिम बच्चों को अपने देश, समाज और राजनीति के बारे में लगभग कोई जानकारी नहीं होती और न ही उस शानदार रफ़्तार से जिससे दुनिया विकास कर रही है. कोई भी जोर देकर कह सकता है कि मदरसे इस्लाम की सेवा करने के बजाय आज धर्म को नुकसान पहुंचा रहें हैं.
जब कभी मदरसों के आधुनिकीकरण की मांग उठती है तो मुस्लिम धार्मिक नेता इसके खिलाफ हाय तौबा मचाना शुरू कर देते हैं. इस्लाम खतरे में है, का नारा मस्जिदों और बड़े मदरसों से उठना शुरू हो जाता है और इनके नुमाइंदे कोशिश करने लगते हैं कि सुधार की किसी भी कोशिश को किस तरह रोका जाए.
मदरसा के बच्चे सीखेंगे कंप्यूटर, गणित व विज्ञान भी पढ़ेंगे
मदरसों को मुस्लिम पहचान का विषय बनाना मुस्लिम वर्ग को सिर्फ शैक्षिक नुकसान पहुंचा सकता है. इसी भावना के तहत मुसलमानों के एक वर्ग ने खुद ही मदरसों के पाठ्यक्रम में बदलाव की मांग शुरू कर दी है ताकि उसे समकालीन आवश्यकताओं के अनुसार बनाया जा सके. अब मुसलमानों के बीच शिक्षा को लेकर प्यास पैदा हुई है और मुस्लमान माता-पिता भी अपने बच्चों के आधुनिक शिक्षा पर जोर दे रहें है. दी नेशनल काउन्सिल ऑफ़ माइनारिटी एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन (NCMEI) ने भी एक रिपोर्ट में दलील देते हुए कहा है कि देश में मदरसा शिक्षा में सुधार की फ़ौरन आवश्यकता है.