सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज क्लिक के फाउंडर और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को तुरत रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को अवैध करार दिया है। वे छह महीने पहले UAPA के तहत गिरफ्तार किए गए थे। उन पर चीन से पैसा लेकर मीडिया संस्थान चलाने का आरोप लगाया गया था। मालूम हो कि वे मोदी सरकार से सवाल पूछने और आलोचना करने के लिए जाने जाते हैं। जब गिरफ्तारी हुई, तब गोदी मीडिया ने सरकार और पुलिस के तर्कों को आधार बना कर सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के खिलाफ हमला बोल दिया था। अब जब उनकी गिरफ्तारी को ही कोर्ट ने अवैध करार दिया है, तब ये गोदी मीडिया वाले पतान नहीं कहां छुप गए हैं।

कोर्ट ने इस बात के लिए भी फटकार लगाई कि जब प्रबीर पुरकायस्थ को जब गिरफ्तार किया गया था, तब पुरकायस्थ के वकील को भी उपस्थित होने का मौका नहीं दिया गया और मजिस्ट्रेट के यहां पेश करके जेल भेज दिया गया। पुरकायस्थ को 3 अक्टूबर, 2013 को गिरफ्तार किया गया और दूसरे दिन सुबह छह बजे मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर दिया गया। उनके वकील को सूचना भी नहीं दी गई थी। इसके बाद देश के कई स्वतंत्र पत्रकारों को टारगेट किया गया, लेकिन अंततः आज छोड़ना पड़ा। हालांकि इस दौरान न्यूज क्लिक को काफी परेशानी झेलनी पड़ी और आधा से ज्यादा चुनाव पार कर गया। फिर भी सोशल मीडिया पर लोग संतोष जता रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि उनके मन में इस बात को लेकर ‘कोई संदेह’ नहीं है कि पुरकायस्थ का रिमांड आदेश अमान्य था और गिरफ़्तारी अवैध थी क्योंकि उस समय उन्हें गिरफ़्तारी के लिए आधार नहीं दिया गया था।

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गौरतलब है कि पुरकायस्थ को दिल्ली पुलिस ने पिछले साल 3 अक्टूबर, 2023 को उनके घर, न्यूज़क्लिक के दफ्तर और लगभग 80 पत्रकारों और संस्थान से जुड़े अन्य लोगों के आवासों पर छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया था। न्यूज़क्लिक के एचआर प्रमुख अमित चक्रवर्ती को भी उसी समय गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में वह इस मामले में सरकारी गवाह बन गए।

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By Editor


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