मुख्यमंत्री ने 12 मई के बाद किसी भाजपा नेता के साथ मंच साझा नहीं किया है। उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो में उनके हाथ में तीर निशान के बदले कमल का फूल पकड़ा दिया गया था। तेजस्वी यादव ने कहा कि चार जून के बाद कुछ बड़ा होने वाला है। राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि इस बीच दो बार प्रधानमंत्री राजभवन में रुके, लेकिन मुख्यमंत्री उनसे मिलने तक नहीं गए।
12 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो में मुख्यमंत्री भी शामिल हुए थे। विशेष तौर पर बनाए रथ में ऐसी व्यवस्था थी कि प्रधानमंत्री ऊंचे लग रहे थे और मुख्यमंत्री नीचे और छोटे दिख रहे थे। अमूमन मंच हो या कोई प्रचार वाहन सारे नेता बराबरी में खड़े होते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के प्रचार वाहन में नीतीश कुमार को छोटा दिखाया गया। यही नहीं गठबंधन धर्म के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ में उनका चुनाव चिह्न तीर होना चाहिए था, लेकिन उन्हें कमल थमा दिया गया था।
राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा अन्तिम चरण के मतदान के पूर्व ही एनडीए के घटक दलों के बीच सिरफुटव्वल शुरू हो चुका है। एक जून को अन्तिम चरण का मतदान सम्पन्न होते ही वह सतह पर दिखाई पड़ने लगेगा जिसकी अन्तिम परिणति मतगणना के दिन 4 जून को सामने आ जाएगी।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि गत 12 मई को पटना में प्रधानमंत्री जी के रोड शो में मुख्यमंत्री जी को उचित सम्मान नहीं दिए जाने और उनके हाथ में तीर के बदले कमल निशान पकड़ाए जाने के साथ हीं शो के बैनर में नीतीश कुमार जी की तस्वीर नहीं दिए जाने के कारण जदयू कार्यकर्ताओं में अन्दर हीं अन्दर काफी आक्रोश है। इसी वजह से उस दिन के बाद नीतीश जी ने भाजपा नेताओं के साथ कोई मंच साझा नहीं किया और न दो-दो दिन राजभवन में ठहरे प्रधानमंत्री जी से मिलने हीं गये। जदयू नेता यह मान रहे हैं कि भाजपा समर्थकों ने उनके उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान नहीं किया है।
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अपनी तीन महबूबा के कारण चुनाव हार रहे मोदी : तेजस्वी
राजद प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा नेताओं का भी मानना है कि जदयू समर्थकों ने भाजपा उम्मीदवारों के साथ विश्वासघात किया है। यही स्थिति लोजपा ( रामविलास) के साथ भी है। लोजपा समर्थक तो अब खुले तौर पर कहने लगे हैं कि जदयू के लोग खुलेआम चिराग पासवान सहित लोजपा (आर) के उम्मीदवारों के खिलाफ सक्रिय रहे पर भाजपा नेतृत्व मूकदर्शक बनी रही, उनके द्वारा कोई पहल नहीं किया गया। उपेन्द्र कुशवाहा जी की स्थिति तो और भी खराब है भाजपा और जदयू दोनों उनके राजनीतिक भविष्य को समाप्त करने पर लगी हुई है। इसे वे भी समझ रहे हैं पर मजबूरीवश अभी चुप हैं। संभव है 1 जून को मतदान सम्पन्न होने के बाद वे अपना मुंह खोलेंगे।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए के अन्दर एक दूसरे के प्रति इतना अविश्वास और दूरी बढ़ गई है कि सात चरणों के चुनाव के दौरान इनका शीर्ष नेतृत्व आज तक एक भी साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी नहीं कर सका।