नीतीश ने किया आरक्षण कोटा 50 से बढ़ाकर 65 % करने का प्रस्ताव
नीतीश ने किया आरक्षण कोटा 50 से बढ़ाकर 65 % करने का प्रस्ताव। अचानक बिहार की राजनीति गरमाई। लोकसभा चुनाव पर असर पड़ना तय। भाजपा की प्रतिक्रिया का इंतजार।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में जाति गणना और आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश करने के बाद आरक्षण का कोटा 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का प्रस्ताव पेश कर दिया। उनके इस प्रस्ताव की उम्मीद पहले से की जा रही थी। अब जबकि उन्होंने औपचारिक रूप से आरक्षण को बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दे दिया है, तो जाहिर है विधानसभा में भाजपा को अपना पक्ष रखना होगा। अभी तक भाजपा के किसी प्रमुख और बड़े नेता का इस प्रस्ताव पर कोई जवाब नहीं आया है। इसी के साथ अब यह सवाल गूंजने लगा है कि क्या भाजपा आरक्षण का कोटा 65 प्रतिशत करने के प्रस्ताव पर सहमति देगी या इसका विरोध करेगी।
नीतीश कुमार ने आरक्षण को कोटा बढ़ाने का प्रस्ताव करके भाजपा को असमंजस में डाल दिया है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह 65 प्रतिशत आरक्षण केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी सामान्य वर्ग के लिए दिए गए दस प्रतिशत आरक्षण के साथ होगा या अलग होगा। अगर अलग होगा, तो इसका अर्थ है कि केंद्र और राज्य का आरक्षण मिला कर कुल 75 प्रतिशत आरक्षण हो जाएगा। बिहार में सामान्य वर्ग की आबादी 15 प्रतिशत है।
उधर भाजपा ने नीतीश कुमार के इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय सिन्हा ने अपने वक्तव्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पद छोड़ने तथा किसी अतिपिछड़े को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की है।
नीतीश कुमार के इस प्रस्ताव से बिहार की राजनीति पर असर पड़ना तय है। अब सारे दल लोकसभा चुनाव की तैयारी में हैं। विधानसभा का सत्र समाप्त होने के बाद तुरत राज्य के जिलों में सभी प्रमुख नेता दौरा शुरू करेंगे। इंडिया गठबंधन के नेता आरक्षण को 75 प्रतिशत करने की मांग करेंगे। अगर इस मांग ने जोर पकड़ी, तो भाजपा की परेशानी बढ़ सकती है। अगर वह प्रस्ताव का समर्थन करती है, तो उसका सवर्ण आधार नाराज होगा और विरोध करती है, तो पिछड़े छिटक सकते हैं।
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