नीतीश ने तेजस्वी का उड़ाया मजाक तो मिला करारा जवाब
आप मुख्यमंत्री के नाम से पत्र भेजते हैं, तो वह उन्हें मिलेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं। जब तेजस्वी का पत्र ही सीएम तक नहीं पहुंचता, तो आम आदमी की क्या बिसात है?
कुमार अनिल
कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एक पत्र लिखा। पत्र कोई व्यक्तिगत सुविधा के लिए नहीं था, बल्कि उत्तर बिहार के 20 जिलों के करोड़ों लोगों की परेशानी हल करने के संबंध में था। यह बाढ़ के स्थायी समाधान को लेकर था। जब मीडिया ने मुख्यमंत्री से तेजस्वी यादव के पत्र के पूछा, तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। कहा, उनका कोई पत्र नहीं मिला। मुख्यमंत्री यहीं तक नहीं रुके, बल्कि उन्होंने तेजस्वी का मजाक उड़ाते हुए कहा कि वे तो मीडिया में ही पत्र जारी करते हैं।
मुख्यमंत्री कह सकते थे कि उन्होंने पत्र नहीं देखा है। पता करते हैं। यह कायदे की बात होती। लेकिन अपने अधिकारियों से बिना पूछे ही यह कहना कि तेजस्वी यादव मीडिया में ही पत्र जारी करते हैं, यह उनके पूर्वाग्रह को ही दिखाता है।
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद बिना देर किए तेजस्वी ने ट्वीट करके उस पत्र की कॉपी सोशल मीडिया में सबके सामने रखी, जिसमें मुख्यमंत्री सचिवालय ने पत्र प्राप्ति का प्रमाण दिया था।
इसके बाद बारी तेजस्वी यादव की थी। उन्होंने कहा- एक प्रदेश के मुख्यमंत्री इतने अनजान,भ्रमित और अंधकार में कैसे रह सकते है कि नेता प्रतिपक्ष के जन सरोकार से जुड़े अति महत्वपूर्ण पत्र के बारे में सार्वजनिक रूप से कहते है कि उन्हें पत्र नहीं मिला? CM सचिवालय से दोपहर 12:15 बजे प्राप्त पत्र की Acknowledgment receipt आपके सामने है।
अब जबकि तेजस्वी यादव ने स्थिति स्पष्ट कर दी है, तो क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने सचिवालय के अधिकारियों पर इस संबंध में कोई कार्रवाई करेंगे?
तेजस्वी यादव का वह पत्र इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उसमें उत्तर बिहार के 20 जिलों के लोगों को बाढ़ की तबाही से बचाने के सुझाव हैं। तेजस्वी ने यह सुझाव दिया है कि बाढ़ से बचाव के लिए नदी जोड़ योजना को केंद्र सरकार राष्ट्रीय योजना के रूप में स्वीकार करे। साथ ही बाढ़ से बचाव के अन्य उपाय भी केंद्र सरकार राष्ट्रीय योजना माने। तेजस्वी ने कहा है कि केंद्र और राज्य दोनों में एक ही गठबंधन की सरकार है, इसलिए प्रधानमंत्री से मिलना राज्य के हित में होगा।
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