नीतीश के फिर पलटने की चर्चा गरमाई, आखिर क्यों
नीतीश के फिर पलटने की चर्चा गरमाई, आखिर क्यों। क्यों कहा जा रहा जदयू के विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। इन 5 प्वाइंट्स से समझिए क्यों परेशान हैं CM।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर एक बार फिर चर्चा छिड़ गई है। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से पाला बदल सकते हैं। वे भाजपा के साथ घुटन महसूस कर रहे हैं। खुल कर काम नहीं कर पा रहे हैं। इन बातों में कितनी सच्चाई है, इसे पांच प्वाइंट्स से समझा जा सकता है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पाला बदले एक महीना से ज्यादा हो गया है। लेकिन वे अभी तक अपने मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं कर पाए हैं। यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है, लेकिन वे अपने विशेषाधिकार का भी उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। पहले नीतीश कुमार को मंत्रिमंडल विस्तार में कभी इतना समय नहीं लगा। एक-एक मंत्री के पास पांच-पांच विभाग हैं, ऐसे में समझा जा सकता है कि विकास कार्य किस गति से चल रहा है और किस गति से निर्णय लिए जा रहे हैं। दूसरा प्वाइंट यह है कि लोकसभा चुनाव के लिए अभी तक एनडीए में सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है। उनके इंडिया गठबंधन से अलग होने का एक कारण तब सीटों के बंटवारे में देरी होना बताया गया था, लेकिन एनडीए में तो और भी अजीब स्थित है। कोई नेता बता नहीं पा रहे कि उनकी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चर्चा यह भी है कि पिछली बार 17 सीटों पर चुनाव लड़ने वाला जदयू इस बार कम सीटों पर चुनाव लड़ेगा। तीसरी बात कही जा रही है कि नीतीश कुमार चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव भी लोकसभा चुनाव के साथ हो। लेकिन इसके लिए भाजपा तैयार नहीं है। हालांकि इस मामले में पार्टी ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन राजनीतिक गलियारे में चर्चा है।
चौथा प्वाइंट केमेस्ट्री से जुड़ा है। सुशील कुमार मोदी जब नीतीश कुमार के उप मुख्यमंत्री थे, तब भाजपा और जदयू में जो केमेस्ट्री थी, वह अब नहीं दिख रही है। और पांचवां प्वाइंट है तेजस्वी यादव हर सभा में नीतीश कुमार को अपना गार्जियन बता रहे हैं। कह रहे हैं कि वे नीतीश कुमार का पूरा सम्मान करते हैं। लालू प्रसाद भी कह चुके हैं कि राजद का दरवाजा हमेशा खुला रहता है।
इन पांच प्वाइंट के अलावा एक खास बात नोट करने वाली है कि तेजस्वी यादव और इंडिया गठबंधन की 3 मार्च रैली के खिलाफ भाजपा जितना मुखर है, जदयू उतना मुखर हो कर तेजस्वी यादव और इंडिया गठबंधन की रैली का विरोध नहीं कर रहा है। तो क्या बिहार में कोई बड़ा परिवर्तन फिर होने वाला है?
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