केजरीवाल की राह चले अखिलेश, CBI को दिखा दिया ठेंगा

केजरीवाल की राह चले अखिलेश, CBI को दिखा दिया ठेंगा। फूछा पांच साल तक कभी कोई जानकारी नहीं मांगी। ठीक चुनाव के पहले नोटिस क्यों?

सपा प्रमुख अखिलेश यादव आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राह पर चल पड़े हैं। सीबीआई ने अखिलेश यादव को नोटिस जारी करके दिल्ली में पूछताछ के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया था। अखिलेश यादव ने इस निर्देश को ठेंगा दिखा दिया। सीबीआई की मंशा और कार्य प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि 2019 के पांच साल बाद फिर चुनाव के समय ही जानकारी क्यों मांगी जा रही है। पांच साल तक कोई जानकारी क्यों नहीं मांगी गई। उन्होंने दिल्ली में पूछताछ करने को भी अनुचित बताया और वहां जाने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि 2019 में भी नोटिस मिला था। तब लोकसभा चुनाव था। अब फिर से लोकसभा चुनाव से पहले नोटिस दिया जा रहा है। इसका क्या अर्थ है?

अखिलेश यादव ने कहा कि सीबीआई वीडियो कॉन्फ्रेंसिग से भी जानकारी ले सकती है। वह लखनऊ में भी जानकारी ले सकती है। दिल्ली बुलाने का क्या मतलब है। जाहिर है दिल्ली में पूछताछ के लिए बुलाने का अर्थ है कि मीडिया इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाएगा, ताकि भाजपा को चुनाव में फायदा हो।

मालूम हो कि खनन ठेके में गड़बड़ियों का आरोप 2016 का है। तब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे। तब के खनन मंत्री जेल में हैं। उन्हें सरकार ने जेल से निकाल कर अस्पताल में रखा था। कई विशेषज्ञ मान रहे हैं कि उन्हें सरकारी गवाह बना कर अखिलेश यादव को फंसाने की कोशिश हो सकती है।

याद रहे अरविंद केजरीवाल भी केंद्रीय एजेंसी के नोटिस के बावजूद कभी पूछताछ के लिए नहीं गए। वे नोटिस का जवाब देते रहे, पर कभी उपस्थित नहीं हुए। केंद्रीय एजेंसी उन्हें गिरफ्तार भी नहीं कर पाई है। केजरीवाल के बाद अखिलेश यादव ने जिस तरह से सीबीआई की मंशा और कार्य प्रणाली पर सवाल उठाया है, उससे सीबीआई का महत्व ही खत्म हो गया है। आम जन को साफ दिख रहा है कि ठीक चुनाव से पहले ही केंद्रीय एजेंसी पूछताछ के लिए क्यों बुला रही है। सवाल यह भी उठ रहा है कि हमेशा विपक्षी नेताओं को ही क्यों नोटिस दिया जा रहा है। अगर वह विपक्षी नेता भाजपा में शामिल हो जाता है, तो नोटिस आना बंद हो जाता है। जांच धीमी कर दी जाती है।

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