नीतीश सरकार से आक्रोशित मंत्री ने दी इस्तीफे की धमकी
नीतीश सरकार की कार्यशैली से नाराज एक मंत्री ने इस्तीफा देने की धमकी दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने ऐसी परिस्थिति शायद पहली बार आई है। क्या है वजह?
2010 और 2021 में बहुत अंतर है। 2010 में नीतीश सरकार के किसी मंत्री के नाराज होने का सवाल ही नहीं था। सबकुछ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इच्छा से होता था। पर अब स्थिति बदल गई है। जदयू तीसरे नंबर की पार्टी है। मुख्यमंत्री का वह रुतबा नहीं है, जो 2010 में था। आज भाजपा के दो-दो उपमुख्यमंत्री हैं।
आज जैसे ही यह खबर मीडिया में आई कि राज्य सरकार के समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने इस्तीफे की पेशकश की है, तो राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चा का बाजार अचानक गर्म हो गया।
कहा गया कि मंत्री इस बात से नाराज हैं कि कोई अधिकारी उनकी सुनता नहीं। मंत्री ने कहा कि जो ट्रांसफर-पोस्टिंग मंत्री के स्तर पर होनी चाहिए, वह अफसर कर रहे हैं। वे इस अपमान के साथ मंत्री पद पर नहीं रहना चाहते। कहा, मेरा इस्तीफा तैयार है, बस देने जा कहा हूं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार में मंत्रियों की कोई पूछ नहीं है।
भले ही मंत्री ने सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोई आलोचना नहीं की है, पर मामले की गहराई में जाएं, तो यह मुख्यमंत्री की कार्यशैली से नाराजगी है। मंत्री की नाराजगी सत्ता संचालन की नई शैली की मांग है, जिसमें सारी सत्ता एक केंद्र में नहीं हो। जो मंत्री का अधिकार क्षेत्र है, उसमें दूसरे की दखलअंदाजी का विरोध है। कई पर्यवेक्षक दिल्ली की राजनीति में सबकुछ पीएमओ से निर्धारित होने और सारी सत्ता उसी में निहित होने की आलोचना करते हैं, उसी तरह किसी राज्य में यह सारी सत्ता मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द केंद्रित होने का खुला विरोध है।
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हाल में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि इंतजार कीजिए, यह सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगी। उनके कहने का एक आधार शायद यह भी हो कि सत्ता समीकरण 2021 में बदल चुका है, पर कार्यशैली वही है, इस अंतरविरोध से सरकार में नाराजगी बढ़ रही है। इस स्तर पर देखें, तो तेजस्वी यादव के बयान में एक हदतक सच्चाई भी है।
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मंत्री मदन सहनी का आक्रोश ऊपर से देखने में व्यक्तिगत लगता है, पर ऐसा नहीं है। इसीलिए आनेवाले दिनों में कुछ और मंत्री ऐसी ही धमकी दें, तो आश्चर्य की बात नहीं।