लोकसभा चुनाव के प्रचार में इस बार जदयू एक नई तरह की परेशानी में फंसा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई सभाओं में ऐसा कुछ बोल दे रहे हैं, जिससे हंसी हो जा रही है। दूसरे कोई बड़े नेता भी नहीं हैं, जो हर लोकसभा क्षेत्र में धुआंधार प्रचार करें। ले-देकर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे हैं, लेकिन राज्य की राजनीति में अभी उनका वह कद नहीं जो तेजस्वी यादव का है। शायद इसी कमी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्चुअल मीटिंग कर रहे हैं। उन्होंने शनिवार को विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों के पंचायत अध्यक्षों के साथ वर्चुअल बैठक की। यह उनकी दूसरी वर्चुअल मीटिंग थी। जदयू ने यह जानकारी नहीं दी कि आज की वर्चुअल मीटिंग में कितने पंचायत अध्यक्ष शामिल हुए।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वर्चुअल मीटिंग में कहा कि हमने समाज के सभी तबकों के लिए काम किया है। पहले बिहार की स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति बदतर हुआ करती थी। 2005 के बाद हमारी सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम किया। 2005 से पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रतिमाह औसतन 39 मरीज जाते थे लेकिन अब वह संख्या बढ़कर 10 हजार से अधिक हो गई है।

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उन्होंने कहा कि जब हम केंद्र में मंत्री थे तो सड़कों की स्थिति बेहद खराब रहती थी, अपने क्षेत्र में हमें पैदल जाना पड़ता था लेकिन आज बिहार के सभी क्षेत्रों में आवागमन की सुविधा सुगम हुई है। राजद को भी निशाने पर लिया और कहा कि 15 सालों में उनलोगों ने कुछ नहीं किया। सिर्फ अपने परिवार के सदस्यों को आगे बढ़ाय जबकि हमारा कोई परिवार राजनीति में नहीं है, पूरे बिहार को हम अपना परिवार मानते हैं। हमें काम करने का मौका मिल तो हमनें बिहार की महिलाओं को पंचायती राज एवं नगर निकायों में 50 फीसदी आरक्षण देने का काम किया। बच्चियों के लिए हमनें पोशाक और साईकल योजना की शुरुआत की। माननीय मुख्यमंत्री ने कहा की महिला सशक्तिकरण की दिशा में जो काम हुए हैं उसे महिलाओं के बीच जाकर बताएं। साथ ही उन्होंने कहा कि 2005 के बाद हिन्दू-मुस्लिम के बीच का झगड़ा बिल्कुल बंद हो गए। पहले शाम होते कोई घर से बाहर नहीं निकलता था।

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