Pegasus : संसद में बची, सुप्रीम कोर्ट में फंसी सरकार
Pegasus जासूसी पर केंद्र सरकार संसद में बहस को तैयार नहीं हुई। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट में फंस गई। आज कोर्ट में फिर वही सवाल उठा, पेगासस खरीदा या नहीं।
आज सुप्रीम कोर्ट में फिर वही सवाल उठा कि केंद्र की मोदी सरकार से बताए कि उसने पेगासस जासूसी स्पाइवेयर खरीदा, उसका इस्तेमाल किया या नहीं, बताए। सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने कहा कि पेगासस मामले पर लग रहे आरोप की जांच करने के लिए एक्सपर्ट की एक कमेटी बनाएगी। सरकार ने स्पष्ट रूप से यह नहीं कहा कि जासूसी स्पाईवेयर खरीदा गया या नहीं।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक्सपर्ट कमेटी बनाने की बात कही, पर यह नहीं बताया कि यह कबतक बनाई जाएगी और इसमें कौन-कौन लोग होंगे। कमेटी कितने दिनों में रिपोर्ट देगी, यह भी नहीं बताया। मोदी सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जेनरल तुषार मेहता ने दो पन्ने के एफिडेविट में कहा कि समय की कमी के कारण विस्तार से जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने याचिकाकर्ता के इस मुख्य सवाल का जवाब नहीं दिया कि मोदी सरकार ने जासूसी स्पाइवेयर खरीदा, उसका इस्तेमाल किया या नहीं।
कई लोगों ने पूछा कि जब मोदी सरकार एक्सपर्ट की कमेटी बनाने को तैयार है, तो वह सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बनाने की मांग से क्यों भाग रही है। लोग यह भी पूछ रहे हैं कि उसे हां या ना कहने में क्या परेशानी है। अगर मोदी सरकार के किसी विभाग ने पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर नहीं खरीदा, तो उसे यह स्पष्ट बोलने में क्या परेशानी है। वह कोर्ट में हलफनामा दायर करके कह दे।
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मालूम हो कि मोदी सरकार ने जासूसी स्पाइवेयर खरीदा या नहीं, इसकी स्पष्टता के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई पत्रकारों व अन्य ने याचिका दायर की है, इसमें द हिंदू से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार एन. राम, शशि कुमार, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, पेगासस जासूसी के शिकार हुए पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता सहित कई अन्य लोग शामिल हैं।