प्रधानमंत्री मोदी से क्यों मिलीं The Hindu की चेयरपर्सन
The Hindu पुराना अखबार है। इसकी चेयरपर्सन पीएम से मिलीं, तो नई चर्चा शुरू हो गई। क्या अखबार अपनी विरासत छोड़कर गोदी मीडिया बन जाएगा? एन.राम नाराज।
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The Hindu ने 142 वर्षों में कठिन परिश्रम, सत्ता के दबावों के बावजूद अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। पहले यह अखबार अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का स्वर था, फिर आजाद भारत में सत्ता के खेल को उजागर करनेवाला साहसी अखबार। 11 राज्यों के 21 शहरों से प्रकाशित होनेवाले इस अखबार के 15 लाख पाठक हैं। पटना जैसे शहर में एक दिन बाद पहुंचता है, फिर भी लोग खरीदकर पढ़ते हैं।
द हिंदू पब्लिशिंग ग्रुप की चेयरपर्सन मालिनी पार्थसारथी छह दिन पहले 22 जुलाई को प्रधानमंत्री से मिलीं, तो चर्चा का बाजार गर्म हो गया। पार्थसारथी ने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ उनकी बातचीत नई दृष्टि (Illuminating) देनेवाली थी। इसी के साथ देश के प्रबुद्ध वर्ग को इस बात की चिंता सताने लगी है कि क्या द हिंदू अपनी विरासत छेड़कर गोदी मीडिया का हिस्सा बन जाएगा?
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सोशल मीडिया पर द हिंदू के डायरेक्टर तथा पूर्व मुख्य संपादक एन.राम से लोगों ने पूछा कि क्या अखबार अपनी प्रतिष्ठा गंवा देगा ? जवाब में एन.राम ने ट्वीट किया-मुझे उस बातचीत से कोई लेना-देना नहीं है, पर मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि हमने कड़ी मेहनत से जो प्रतिष्ठा हासिल की है, उसे बचाने के लिए जो भी संभव होगा, करेंगे।
नेशनल हेराल्ड ने लिखा है कि मालिनी पार्थसारथी ने एन.राम पर गंभीर आरोप लगाए। जिस एन.राम के कारण द हिंदू को देश ही नहीं, विदेश में भी प्रतिष्ठा मिली, उनके बारे में मालिनी ने कहा कि उनके कार्यकाल में द हिंदू की विरासत बर्बाद हो गई। मालिनी के इस आरोप से सोशल मीडिया पर अखबार के प्रशंसक खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
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देश सत्ता से सवाल करनेवाले कुछ ही अखबार हैं। द टेलिग्राफ लगातार सत्ता की कमियां और जनता का पक्ष साहस के साथ रख रहा है। इसके अलावा द हिंदू की भी प्रतिष्ठा रही है। अगर यह भी गोदी मीडिया का हिस्सा हो गया, तो पाठकों को सिर्फ वही पढ़ने को मिलेगा, जो सरकारी विज्ञप्ति में जारी होगी।
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