अशोका यूनिवर्सिटी के प्रो. अली खान महमूदाबाद ने जनता की अदालत में लड़ाई जीत ली है। आज देश के 1200 प्रबुद्ध लोगों ने उनकी गिरफ्तारी का विरोध किया है। इनमें शिक्षाविद्, विभिन्न दलों के नेता, सिविल सोसाइटी को लोग शामिल हैं।

अशोका विवि की प्राध्यापक तथा इतिहासकार अपर्णा वैदिक तथा दिल्ली विवि के प्रो. अपूर्वानंद की पहल पर देश के 1200 प्रबुद्ध लोगों ने हस्ताक्षर करके प्रो. अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी का विरोध किया। हस्ताक्षप करनेवालों में वरिष्ठ इतिहासकार रोमिला थापर, जोया हसन, निवेदिता मेनन, मिर्जा बेग सहित कई शिक्षाविद् हैं। राजनीतिज्ञों में टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा, जावहर सिरकार, उप्र कांग्रेस के प्रवक्तासैफ अली नकवी सहित कई नेताओं के हस्ताक्षर हैं। सिविल सोसाइटी के आकार पटेल, अनंत पटवर्धन, राम पुनियानी, हर्ष मंदर के हस्ताक्षर हैं।

भले ही अशोका विवि ने अपने प्रोफेसर की गिरफ्तारी से खुद को अलग कर लिया, लेकिन प्रो. अली के सहयोगी प्राध्यापक रातभर उनके साथ थाने में बैठे रहे। विवि के छात्रों ने भी प्रो. अली की गिरफ्तारी का विरोध किया है।

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रो. अली की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए कल कहा था कि सरकार भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच लोकतंत्र को कुचलना चाहती है, जिसकी वे इजाजत नहीं देंगे।

मालूम हो कि प्रो. अली को उनके फेसबुक पोस्ट के कारण गिरफ्तार किया गया। उनके पोस्ट के खिलाफ हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने पुलिस में शिकायत की थी। इधर दिन-ब-दिन प्रो. अली की गिरफ्तारी का विरोध बढ़ता ही जा रहा है।

By Editor