देश में कर्नाटक ऐसा पहला राज्य बन गया है, जिसने स्कूल-कॉलेजों में दिलत-पिछड़े-आदिवासी छात्रों के साथ भेदभाव और उत्पीड़न पर रोक लगाने के लिए रोहिल लॉ बनाने की घोषणा की है। याद रहे वर्ष 2016 में रोहित वेमुला को जाति-उत्पीड़न के कारण अपनी जान देनी पड़ी थी। तब देशभर में शैक्षणिक संस्थानों में होने वाले जातीय भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठी थी। उसके बाद भी उत्पीड़न बदस्तूर जारी रहा। अब कर्नाटक की कांग्रेसी सरकार की इस घोषणा से फिर एक बार दलित राजनीति गरमाएगी। अन्य राज्यों में भी रोहित लॉ बनाने की मांग उठ सकती है।
दरअसल दो दिन पहले देश के दलित-पिछड़े तथा आदिवासी छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मुलाकात की थी। उन्होंने बताया था कि किस प्रकार आज भी कॉलेजों में उनके जैसे छात्रों के साथ भेदभाव और उत्पीड़न किया जाता है। इसके बाद राहुल गांधी ने कल कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को पत्र लिखा। कल ही देर शाम अपने सहयोगियों के साथ बातचीत करके मुख्यमंत्री ने राज्य में लोहित लॉ बनाने तथा पिछड़े-दलित और आदिवासी छात्रों के उत्पीड़न पर रोक लगाने का भरोसा दिया।
भाजपा के लिए अब तक दलित राजनीति का मतलब सिर्फ इस वर्ग के लोगों को चुनाव में टिकट दे देना भर रहा है। वे इस वर्ग के मूल मुद्दों से हमेशा भागते रहे हैं। दलित, आदिवासी, पिछड़े तथा अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्ति में लगातार कटौती की जा रही है। समाज में भी इस वर्ग पर लगातार हमले जारी हैं। अब कर्नाटक सरकार के इस फैसले से दलित छात्रों की नई गोलबंदी हो सकती है। इससे पहले राहुल गांधी संविधान रक्षा तथा जाति गणना की मांग करते रहे हैं। अब दलित वर्ग को एक नया मुद्दा मिल गया है।
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