संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में ये हुआ फैसला
मोदी सरकार की मुश्किलें कम नहीं हुईं। आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में कई फैसले हुए। सरकार से बातचीत के लिए टीम का गठन। सभी मांगें मिलने तक आंदोलन।
आज दिल्ली की सीमा सिंघु बॉर्डर पर सभी किसान संगठनों की अहम बैठक हुई। बैठक मोदी सरकार ही नहीं, यूपी की योगी सरकार के लिए भी खास मायने रखती है। बैठक में एमएसपी को छोड़कर अन्य मांगों पर सरकार के साथ बातचीत करने के लिए पांच किसान नेताओं की टीम का गठन किया गया। इस टीम में किसान नेता अशोक धावले, बलबीर राजेवाल, गुरुनाम चरुनी, शिवकुमार कक्का तथा यदुवीर सिंह।
किसानों की मांगों में बिजली संशोधन बिल वापस करना भी प्रमुख है। आज बैठक के बाद प्रेस वार्ता में किसान नेताओं ने कहा कि नए बिजली बिल के लागू होने के बाद किसानों के बिजली बिल कई गुना बढ़ जाएंगे। किसानों की एक प्रमुख मांग में आंदोलन के दौरान 50 हजार से अधिक मुकदमे जो किसानों पर लादे गए हैं, उनकी वापसी भी है। किसान नेताओं ने लखीमपुर कांड मामले में केंद्रीय मंत्री टेनी की बरखास्तगी, सभी शहीद किसानों के परिजनों को मुआवजा तथा शहीद किसानों का स्मारक बनाने की मांग भी शामिल है।
आज किसान संगठनों की बैठक को लेकर तमाम मीडिया समूहों के पत्रकार जमा थे। बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि तीन कृषि कानून की वापसी अच्छी बात है, लेकिन पहले दिन से ही किसानों ने बता दिया था कि उनकी अन्य मांगें भी हैं। इन मांगों में एमएसपी पर कानून बनाना भी एक है।
बैठक के दौरान मीडिया में खबरें चलती रहीं कि किसान संगठन बंट गए हैं। पंजाब के किसान अब वापस जाना चाहते हैं और एमएसपी पर अन्य तरीके से आंदोलन करना चाहते हैं। हरियाणा-प. यूपी के किसान घर वापस नहीं जाना चाहते, जब तक एमएसपी सहित सभी मांगें नहीं मिल जातीं। मीडिया के आकलन के विपरीत किसान संगठनों ने कहा कि वे तुरत वापस नहीं जा रहे हैं। उनका आंदोलन जारी है। अगली बैठक 7 दिसबंर को होगी। किसान आंदोलन अगर लंबा खिंचता है, तो यूपी चुनाव में भाजपा की परेशानी बढ़ेगी।
क्या अखिलेश की आंधी से डर गए हैं योगी आदित्यनाथ