चुनाव आयोग द्वारा बिहार में गहन मतदाता पुनरीक्षण को लेकर पहली बार एनडीए में स्पष्ट फूट पड़ गई है। वहीं मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में भाजपा अकेली पड़ती जा रही है।
राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख और सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा से अलग राह पकड़ ली है। उन्होंने शनिवार को मतदाता पुनरीक्षण पर कहा कि चुनाव आयोग के इस कार्य से किसी का विरोध नहीं है, लेकिन सवाल समय का है। इतने कम समय में हर मतदाता की पहचान सुनिश्चित करना कठिन है। उन्होंने यह भी कहा कि मतदाता पुनरीक्षण को लेकर जो सवाल उठाए जा रहे हैं, जो शंकाएं जताई जा रही हैं, चुनाव आयोग को उन्हें दूर करना चाहिए। कहा कि इस प्रकार गहन पुनरीक्षण का कार्य और पहले शुरू करना चाहिए था।
उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा की लाइन से बिल्कुल अलग हट कर बात कही। भाजपा कह रही है कि विपक्ष अपनी हार से घबराया हुआ है, इसीलिए मतदाता पुनरीक्षण पर सवाल खड़े कर रहा है। उपेंद्र कुशवाहा ने इस तरह की कोई बात नहीं कही, बल्कि विपक्ष के सवालों को उचित करार दे दिया।
उधर जदयू के राष्ट्रीय नेता केसी त्यागी ने दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए कहा कि विपक्ष ने कई सवाल खड़े किए हैं। अगर वे चुनाव आयोग में अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। त्यागी का यह बयान भी जदयू के कई नेताओं से अलग है।
इस बीच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स ने चुनाव आयोग के इस अभियान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपल दायर कर दी है। अपील में कोर्ट से हस्तक्षेप करने की अपील की गई है। कहा गया कि इस अभियान से लाखों मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।